प्रस्तुत है प्रशान्तकाम ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 11 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*804 वां* सार -संक्षेप
1 संतुष्ट
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स्थान : रमण रेती
(रमण रेती, मथुरा और महावन के बीच स्थित एक पवित्र स्थान है।
1978 में आई बाढ़ के पूर्व रमण रेती में रेत ही रेत हुआ करता था। इस रमणीक वन में कदम्ब और पीपल के वृक्ष बहुत संख्या में थे यहां आने वाले दर्शनार्थी रमण रेती की मिट्टी से तिलक करके भगवान कृष्ण की चरण धूलि को माथे से लगाने की अनुभूति करते हैं)
हमारा राष्ट्र अध्यात्म आधारित राष्ट्र है यह संसार के शौर्य शक्ति का समन्वय है भावनाओं की पूजा करने वाले इस राष्ट्र में सब कुछ समाहित है हम राष्ट्र -भक्तों का उद्देश्य है
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
विश्वम्भर भारत की इस पुण्य भूमि में सङ्क्रन्दन और रघुनन्दन शौर्य प्रमण्डित अध्यात्म के शिखर पर हमारे मार्गदर्शक के रूप में विराजमान हैं
महान लोग जिस मार्ग से गये हैं हमें उसी मार्ग को अपना लक्ष्य बना लेना चाहिए क्यों कि इस मार्ग पर चलने वाला
सद्गुणों को धारण करना चाहेगा उसमें परोपकार सेवा समर्पण त्याग प्रेम आत्मीयता की भावना बलवती होगी
आचार्य जी ने बताया श्रीमद्भागवत में दशम स्कंध की कथा चिन्तन मनन करने योग्य है
भगवान कृष्ण मथुरा चले गए हैं प्रेम और स्वाभिमान का अद्भुत उदाहरण देखिए गोपियां पैदल जा सकती थीं लेकिन नहीं गईं उद्धव की बात उन्हें समझ में नहीं आई
आए हौ सिखावन कौं जोग मथुरा तैं तौपै,
ऊधौ ये बियोग के बचन बतरावौ ना।
कहै रतनाकर दया करि दरस दीन्यौ,
दुख दरिबै कौं, तौपै अधिक बढ़ावौ ना॥
टूक-टूक ह्वै है मन-मुकुर हमारौ हाय,
चूकि हूँ कठोर-बैन-पाहन चलावो ना।
एक मनमोहन तौ बसिकै उजार्यो मोहिं,
हिय में अनेक मनमोहन बसावौ ना॥
यह भावों की अभिव्यक्ति अद्भुत है
यही राधाभिव्यक्ति है जो सबमें समाहित है
कृष्ण तत्त्व राम तत्त्व सुप्त अवस्था में रहता है राधा तत्त्व उसे जगाता है
राधा और भगवान कृष्ण का अन्तिम मिलन बहुत मार्मिक है राधा तत्त्व कृष्ण तत्त्व में विलीन हो जाता है
राधा की सांसारिक कथा बहुत अद्भुत है बहुत अधिक धैर्यशाली व्यक्ति ही इस कथा को कह पाता है इस राधा तत्त्व की हम अनुभूति कर सकते हैं अभिव्यक्ति कठिन है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया संपूर्ण जी भैया विनय जी भैया मोहन जी भैया अरुण जी भैया दिनेश मिश्र जी भैया पङ्कज जी का नाम क्यों लिया
आचार्य जी ने गुरुशरणानन्द जी के विषय में क्या बताया
गुरुपद की व्याख्या किसने की
गीता प्रेस की किस पुस्तक में राधातत्त्व का विशद विवेचन है जानने के लिए सुनें