12.10.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आश्विन् मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 12 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण *805 वां*

 चतुर विवेकी धीर मत, छिमावान, बुद्धिवान 

आज्ञावान परमत लिया, मुदित प्रफुलित जान।


प्रस्तुत है प्रशान्तबाध ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  आश्विन् मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 12 अक्टूबर 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  *805 वां* सार -संक्षेप


 1 जिसकी समस्त बाधाएं दूर हो गई हों




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हम जीवन हैं

 हम निर्जीव नहीं हैं इसलिए हमें अपने जीवन का दर्शन भी करना चाहिए

हम कौन हैं क्या हम शरीर हैं क्या हम मन हैं या बुद्धि, विचार, संसार या और कुछ हम ये सब नहीं हैं हम हैं

चिदानन्द रूपस्य शिवोऽहं शिवोऽहम्

देखा जाए तो हम ये सब नहीं जानते हैं आचार्य जी ऐसे ही हमारे सुप्त भावों को जाग्रत करने का प्रयास इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से कर रहे हैं

कबीर गुरु और साधु कु, शीश नबाबै जाये 

कहै कबीर सो सेवका, महा परम पद पाये।


आइये अपने ज्ञान के नेत्र खोलने के लिए सुप्त भावों की जागृति हेतु  गुरु की शरण में चले चलें

गुरु आज्ञा मानै नहीं, चलै अटपटी 

चाल 

लोक वेद दोनो गये, आगे सिर पर 

काल।


भावों का संसार भी अद्भुत है कुछ समय भावों की अनुभूति के लिए हम लोग अवश्य निकालें भावों की पूजा करने का आनन्द अद्भुत है 

हम मनुष्य के रूप में जन्मे हैं अतः हमें मनुष्यत्व की अनुभूति होनी चाहिए हमारा काम केवल खाना सोना नहीं है 

मनुष्यत्व की यात्रा स्थिर रहती है लेकिन मनुष्य की यात्रा चलती रहती है

यह एक दार्शनिक विषय है

 हमारे वैचारिक अधिष्ठान को बल देने वाले सद्गुण     विश्वास आस्था भक्ति प्रेम आत्मीयता सेवा समर्पण तप हमारी निधि हैं

सिद्धियों की धन से तुलना नहीं करनी चाहिए सिद्धियां सिद्धियां हैं

अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक हमें रुकना नहीं है हमारा लक्ष्य है

अखंड भारत 

वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः

 राष्ट्र -निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व का उत्कर्ष


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया समीर राय जी का नाम क्यों लिया अभिभावकत्व क्या है

भैया संपूर्ण जी ने परमात्मा के विषय में क्या बताया जानने के लिए सुनें