प्रस्तुत है ज्ञानाविष ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 13 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*806 वां* सार -संक्षेप
1 ज्ञान का समुद्र
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भक्त भावनाओं से भरा हुआ रहता है जिसमें विचार उसकी सहायता करते हैं सद्भाव विचारों के साथ सतत समन्वित बना रहे इसके लिए हमें सदाचारमय विचार ग्रहण करने के अवसर खोजते रहने चाहिए प्रेरक विषय हमारी ऊर्जा में वृद्धि करते हैं
हमारी कर्म की ऊर्जा समर्पण के हवनकुंड में जब प्रवेश करती है तो एक विशिष्ट शक्ति उत्पन्न होती है यही हमारी शक्ति का मूल स्रोत है
इसी कारण भक्ति में शक्ति कहा जाता है
राम, कृष्ण और शिव हमारी भक्ति, शक्ति, विश्वासों , भावनाओं, विचारों का आधार हैं
हम राष्ट्र -भक्तों की आस्था, अस्मिता व मनोबल पर प्रहार करने के लिए दुष्टों ने लगातार आक्रमण कर मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाने, मूर्तियों को खंडित करने का दुष्कृत्य किया
अयोध्या की तरह कृष्ण जन्मभूमि के लिए भी न्याय की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं हमें पूर्ण आश्वस्त रहना चाहिए कि हमें न्याय मिलेगा
हम युगभारती के सदस्यों को तीर्थयात्राओं का प्रबन्ध भी करना चाहिए तीर्थयात्रा भारतवर्ष का दर्शन है जिसे हमने देखा न हो उससे हम प्रेम कैसे कर सकते हैं इसलिए यदि हम देश से प्रेम करते हैं तो उत्साह से लबरेज होकर देश को देखना भी हमारे लिए अनिवार्य है
हम राष्ट्र के प्रति समर्पित भी हों
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने मूल स्वार्थ और भौतिक स्वार्थ में क्या अन्तर बताया झांसी से कौन भैया ब्रजभूमि पहुंचे आदि जानने के लिए सुनें