प्रस्तुत है क्लान्तिछिद ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास शुक्ल पक्ष षष्ठी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 20 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*813 वां* सार -संक्षेप
1 थकावट दूर करने वाला
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भारतीय आर्ष परम्परा का, हिन्दुत्व द्वारा अपनाए गए सनातन चिन्तन, जिसके कारण विश्व ने भारत की अनुकृति की है,का अनुसरण करती इन सदाचार वेलाओं का मूल उद्देश्य है कि हम सत्कर्मों में संलग्न रहें ,शरीर मन बुद्धि चैतन्य का सामञ्जस्य बैठाते हुए सक्षम समर्थ शक्तिशाली बनें, हम पुरुष हैं तो पौरुष का अनुभव करें, प्रयास रहे कि हमारी षड्विकारों से दूरी बनी रहे ,हम यज्ञमयी परमार्थ भाव रखते हुए समाज -हित और राष्ट्र -हित के कार्य करते चलें,हम ग्रामोन्मुखी पुरुषार्थ करें,हम आत्मस्थ होकर इस संसार के रहस्य को समझते और सुलझाते चलें
हमें यह अनुभव कराना कि हम सृजनहार की रची वीणा अर्थात् संसार में रह रहे हैं तो संघर्षों से मुक्त नहीं रह सकते इस लिए उनसे भयभीत नहीं होना चाहिए, मोक्ष हमारा प्राप्तव्य है इसकी भी अनुभूति कराना इन वेलाओं का लक्ष्य है
आइये प्रवेश करें इस वेला में
सारी समस्याओं का हल यदि हम सहज रूप से कर लें तो इससे अच्छा क्या हो सकता है
कोरोना काल का उदाहरण हमारे सामने है हमने कालिमा की उपज कोरोना पर विजय पाई
आचार्य जी ने उसी समय,जब सन् २०२१ में कोरोना चरम पर था,लिखी एक कविता सुनाई (२४ अप्रैल २०२१ )
शहर संकटग्रस्त पल पल मर रहा है
गांव बेचारा बहुत ही डर रहा है
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यह लेखन बहुत सहारा देता है हम भी लेखन -योगी बनें आचार्य जी प्रायः इस पर जोर देते हैं
हम अपनी अध्यात्मपरक जीवनशैली तय करें अपने जीवन को प्रकृति से उन्मुख रखें
आगामी २९ अक्टूबर को सरौंहां में स्वास्थ्य मेला है उसमें आप लोग सादर आमन्त्रित हैं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया अरविन्द जी का नाम क्यों लिया आदि जानने के लिए सुनें