22.10.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 22 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है मुनि -पुङ्गव ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  आश्विन् मास शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 22 अक्टूबर 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  815 वां सार -संक्षेप


 1 सर्वश्रेष्ठ ऋषि



इन सदाचार संप्रेषणों का मूल उद्देश्य है कि हम अपनी बुद्धि जाग्रत और शुद्ध रखें, हम प्रयास करें कि  मालिन्य मिटा रहे,सन्मार्ग पर चलते हुए पौरुष और पराक्रम की पूजा करें, पथभ्रष्ट न हों,मनुष्यत्व की अनुभूति करते हुए समाज -हित और राष्ट्र -हित का कार्य करें , परस्पर प्रेम  आत्मीयता का भाव रखें, वर्तमान समय में संगठन का महत्त्व समझें,आस्तीन के सांपों से सावधान रहें,दुष्टों के लिए अग्नि के समान दिखें,संसार के तथ्य को जानते हुए भी संसार में रहने का तरीका पता रखें,व्यवहार को भी जीवन का एक आवश्यक अंग बनाए रखें, सकारात्मक सोच के लिए आवश्यक उपाय करते रहें


प्रस्तुत है आज की वेला

इसे हम ध्यानपूर्वक सुनें और गुनें


एक देशभक्त सौ कायरों पर भारी है देशभक्त एक अनमोल रत्न शक्ति भक्ति विश्वास और कर्म का स्वरूप होता है



भगवान राम समर्पण का उदाहरण है

लंका कांड, जो कर्म की पराकाष्ठा है,में भगवान् राम की वन्दना इस प्रकार है



रामं कामारिसेव्यं भवभयहरणं कालमत्तेभसिंहं

योगीन्द्रं ज्ञानगम्यं गुणनिधिमजितं निर्गुणं निर्विकारम्‌।

मायातीतं सुरेशं खलवधनिरतं ब्रह्मवृन्दैकदेवं

वंदे कंदावदातं सरसिजनयनं देवमुर्वीशरूपम्‌॥ 1॥

आचार्य जी ने इसका विस्तृत अर्थ बताया एक एक गुण मनन करने योग्य है 



रावण ने गौण भक्ति की 

रावण की सेना में नौकरी का भाव है

मानस कथा बहुत रोचक है



आचार्य जी ने विनय अजमानी भैया को क्या काम सौंपा था

लंका कांड के बारे में आचार्य जी ने और क्या बताया आदि जानने के लिए सुनें