प्रस्तुत है विद्या अर्णव ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास शुक्ल पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 23 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
816 वां सार -संक्षेप
1 विद्या का समुद्र
इन सदाचार संप्रेषणों का मूल उद्देश्य है कि हम अपनी बुद्धि जाग्रत और शुद्ध रखें, हम प्रयास करें कि मालिन्य मिटा रहे,सन्मार्ग पर चलते हुए पौरुष और पराक्रम की पूजा करें, पथभ्रष्ट न हों,मनुष्यत्व की अनुभूति करते हुए समाज -हित और राष्ट्र -हित का कार्य करें , परस्पर प्रेम आत्मीयता का भाव रखें, वर्तमान समय में संगठन का महत्त्व समझें,आस्तीन के सांपों से सावधान रहें,दुष्टों के लिए अग्नि के समान दिखें,संसार के तथ्य को जानते हुए भी संसार में रहने का तरीका पता रखें,व्यवहार को भी जीवन का एक आवश्यक अंग बनाए रखें, सकारात्मक सोच के लिए आवश्यक उपाय करते रहें
आइये प्रवेश करें
आज की वेला में
हमें आत्मबोधोत्सव सदैव मनाना चाहिए
अटल बिहारी जी किस कविता से मंच हिलने लगा था
आचार्य जी ने भैया डा अमित भैया डा पंकज का नाम क्यों लिया
परिवार और आत्म का संतुलन क्यों आवश्यक है
आदि जानने के लिए सुनें