प्रस्तुत है करुणामय ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास शुक्ल पक्ष एकादशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 25 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
818 वां सार -संक्षेप
1 अत्यन्त कृपालु
हम लोग भोग प्रधान युग में हैं
संसार हर तरफ से घेरे रहता है ऐसे में समस्याओं का समाधान अध्यात्म के सहारे मिलता है यह हमें अच्छी तरह समझ लेना चाहिए
और हमें समझ में आता भी है इसी कारण हम इन वेलाओं से संतृप्त होते हैं
हम संघर्षरत रहते हैं और यह अपेक्षा करते हैं कि हमें फिर शांति मिले और संघर्ष करने के बाद भी यदि शान्ति न मिले तो चिन्तन मनन करने की आवश्यकता है कि संघर्ष फलप्रद क्यों नहीं हो रहा
हम यह जान लें यह फलप्रद भक्ति के आधार पर होगा भक्ति के मूल में विश्वास है यह विश्वास जब आत्मविश्वास में परिवर्तित हो जाता है तो हम बहुत सी विकराल समस्याओं को भी हल कर लेते हैं
हम इतने प्रभावशाली बन जाएं कि हमारा प्रभामंडल लोगों को आकर्षित करने लगे यह प्रयास करें
साथ ही अपना लक्ष्य
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः स्मरण में रहे
आचार्य जी ने बहुत विस्तार से बताया कि क्यों हम रामराज्य की कल्पना करते हैं कृष्णराज्य की क्यों नहीं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने कृपालु जी महाराज का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें