26.10.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 26 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण

 ईशा वास्यामिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्।

तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ॥


प्रस्तुत है करुणाकर ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  आश्विन् मास शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 26 अक्टूबर 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  819 वां सार -संक्षेप


 1 करुणा की खान


प्रस्तुत है आज की सदाचार वेला

ये वेलाएं हमें आनंदित करती हैं हमारे लिए अत्यन्त लाभकारी हैं हमें आत्मस्थता की अनुभूति कराती हैं आचार्य जी प्रतिदिन हमारा पुरुषार्थ जाग्रत करने की चेष्टा करते हैं इसलिए हमें प्रतिदिन इनकी प्रतीक्षा रहती है इन वेलाओं से समाज का हित स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है

किसी भी बहाने से समाज के हित में किया गया कोई भी कार्य परमात्मा की आराधना है

वह परमात्मा जो


तदेजति तन्नैजति तद् दूरे तद्वन्तिके।

तदन्तरस्य सर्वस्य तदु सर्वस्यास्य बाह्यतः ॥



वह गतिमान है और स्थिर भी ; वह दूर है और पास भी है; सबके भीतर है और  सबके बाहर भी है।


बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥

आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥

इसके अतिरिक्त


कर्मयोद्धा श्री प्रकाश जी अवस्थी, जो संसार की समस्याओं से जूझते हुए सफल किस तरह हुआ जाता है इसका एक उदाहरण थे,की स्मृति में उनके पुत्र भैया दुर्गेश माधव भैया शुभेन्दु शेखर भैया हितेन्द्र केशव जी ने क्या बनवाने का निर्णय किया

भैया नवनीत जी का वह क्या प्रसंग था जिसमें आचार्य जी ने अपना लिखा भी संशोधित कर दिया था 

भावों में स्थिरता होती है या नहीं  आदि जानने के लिए सुनें