27.10.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 27 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है करुणामय ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  आश्विन् मास शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 27 अक्टूबर 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  820 वां सार -संक्षेप


 1 अत्यन्त कृपालु


ये सदाचार वेलाएं यथार्थ से आदर्श की ओर चलने के लिए हैं ज्यों ही आदर्श प्राप्त हो तो वह यथार्थ हो जाता है और फिर हमारी यात्रा आदर्श की ओर चलने की हो जाती है 

संसार अद्भुत है


आकर चारि लाख चौरासी। जाति जीव जल थल नभ बासी॥

सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी॥1॥




 यहां भिन्न भिन्न रुचियां प्रकृतियां स्वभाव हैं  आधार और आधेय के कारण संसार संसार जैसा लगता है और अच्छा भी लगता है

और इसी कारण चल भी रहा है


,है इसका तत्त्व इसको चलाता है इससे बहुत से कर्म करवाता है शरीर को आधार मानकर बहुत सी रचनाएं करवा देता है अध्यात्म की दृष्टि से यही अविद्या है लेकिन बहुत प्रिय लगती है जीवन दर्शन अद्भुत है जीवन दर्शन में जो व्यक्ति संसार को संसार की दृष्टि से देखे आत्म को आत्म की दृष्टि से देखे तो उसे जीवन वृन्दावन की तरह लगेगा उसे आनन्दित करेगा 

यह शरीर कैसा है इस पर आचार्य जी ने एक बहुत तात्त्विक कविता २७ अगस्त २०११ को लिखी थी


यह तन क्या है बस माटी का

 सुन्दर सा एक खिलौना है....


माटी से इतर इसकी परिपाटी है

सृष्टि की परिपाटी जिसे भारत महत्त्व देता है


परसों होने वाले स्वास्थ्य शिविर में आप सब लोग सादर आमन्त्रित हैं

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया प्रवीण सारस्वत जी का नाम क्यों लिया भैया प्रमोद जी का नाम क्यों आया जानने के लिए सुनें