शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे। साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने॥
प्रस्तुत है राष्ट्र -प्रालंब ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक मास कृष्ण पक्ष द्वितीया विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 30 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
823 वां सार -संक्षेप
1 राष्ट्र का आभूषण
यह शौर्य प्रमंडित अध्यात्म का दम था जिसके बल पर आर्ष परम्परा वाला हमारा देश कभी पराजित नहीं हुआ
आचार्य जी का उद्देश्य रहता है कि हम अध्यात्म की ओर से मुंह न फेरें इसलिए हमारा रुझान वे इस ओर कर देते हैं
आचार्य जी चाहते हैं हम शरीर मन बुद्धि को संयमित करें सूर्योदय से पहले जागें खानपान सही रखें संगति सही रखें और संसार में संसारी भाव रखते हुए शौर्य पराक्रम सेवा भाव के साथ सन्नद्ध रहें भावना की पूजा आवश्यक है यह भावना मनुष्य को प्राप्त एक अद्भुत वरदान है यह मनुष्यत्व की समीक्षा और परीक्षा दोनों है
नचिकेता के ये भाव देखिये
जब यम कहते हैं
ये ये कामा दुर्लभा मर्त्यलोके सर्वान्कामांश्छन्दतः प्रार्थयस्व।
इमा रामाः सरथाः सतूर्या न हीदृशा लम्भनीया मनुष्यैः।
आभिर्मत्प्रत्ताभिः परिचारयस्व नचिकेतो मरणं माऽनुप्राक्शीः ॥
जिन-जिन कामनाओं की पूर्ति मर्त्यलोक में दुर्लभ है, उन सभी कामनाओं को तुम सहर्ष माँग लो
किन्तु, मृत्यु के विषय में प्रश्न मत करो।"
न वित्तेन तर्पणीयो मनुष्यो लप्स्यामहे वित्तमद्राक्श्म चेत्त्वा।
जीविष्यामो यावदीशिष्यसि त्वं वरस्तु मे वरणीयः स एव ॥
मनुष्य को धन से संतृप्त नहीं किया जा सकता और यदि हमने आपके दर्शन कर लिये तो धन हमें प्राप्त हो ही जाएगा तथा जब तक आपका हम पर प्रभुत्व रहेगा तब तक हम जीते भी रहेंगे। मेरे वरण करने योग्य वर तो वही है।
आत्मा क्या है परमात्मा क्या है यह गहन विषय है अद्भुत हैं ऐसे दार्शनिक विषय
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने , की अनिवार्यता बताई कल सम्पन्न हुए कार्यक्रम की चर्चा की
आचार्य जी ने भैया मलय जी भैया विनय जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें