प्रस्तुत है नीरुज् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास कृष्ण पक्ष षष्ठी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 4 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*797 वां* सार -संक्षेप
1 =स्वस्थ
06:10, 16.42 MB, 16:44
असाधारण व्यक्तित्व के धनी आचार्य जी की इन सदाचार वेलाओं का परिणाम परिलक्षित हो रहा है इसमें कोई संदेह नहीं
हमें अब अपने कष्टों और समस्याओं का समाधान मिलने लगा है सदाचारमय विचारों का प्रभाव ऐसा ही होता है भ्रम ,भय , तिमिर से मुक्त होने की दिशा में हम अग्रसर हैं
हम उपासक ज्योति के फिर क्यों तिमिर से भय
भारत के अद्भुत गहन श्रुति साहित्य के प्रति आचार्य जी ने हमारे अन्दर रुचि जाग्रत कर दी है इस साहित्य में वेदसंहिता, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक एवं उपनिषद् सम्मिलित हैं।
भौतिकवादी चिन्तन के कारण हमने इनसे दूरी बना ली थी लेकिन अब हमें इनका महत्त्व समझ में आने लगा है
धर्म से हम दूरी कैसे बना सकते हैं वह तो अत्यन्त उपास्य है इसे हम उपेक्षित नहीं कर सकते इसे तो जितना समझें उतना ही संसार का भला होगा
हम कौन हैं यदि यह विचार करें तो
हम उदय के गीत, गति के स्वर, प्रलय के शोर भी हैं
हम गगन के मीत हैं, पाताल के प्रहरी, कभी घनघोर भी हैं
हम हलाहल पी हँसे हैं हर तिमिर काँपा यही इतिहास मेरा
मानवी जय की पताका हम, प्रभा के तूर्य धिक् यह लोभ घेरा ।
बज उठें फिर शंख मंगल आरती के झाँझ और मृदंग,
भागे मुँह छिपा तम जो घनेरा है।
उठो साथी उठो अभी सबेरा है।
उठो अब भी सबेरा है ll
हमेँ जड़त्व मोह वासना का त्याग करना है हम अपना आत्मबोध जाग्रत करें
कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते।
न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति।।3.4।।
कर्मों के न करने से मनुष्य निष्कर्मता को प्राप्त नहीं होता है और न कर्मों के संन्यास से ही वह सिद्धि पाता है
सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः।
अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक्।।3.10।।
कर्म फलप्रद तो हो लेकिन उसके प्रति लालसा न हो
कर्म के मूल से दूर न हों
परमात्मा ने हमें अद्भुत शरीर दिया है वह भी सतत कर्मरत है
परमात्मा अद्भुत है उसकी लीला अवर्णनीय है परमाणु में भी गति है ब्रह्माण्ड में भी गति है
उस परमात्मा ने कर्मरत होकर ही अनेक सृष्टियां बना दीं
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम दम्भ न करें सजातीय को साथ लेकर चलें संगठन के महत्त्व को समझें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया दिनेश प्रताप सिंह जी का नाम क्यों लिया मञ्जूषा वाली कौन सी रोचक कथा थी विधवा विलाप से क्या तात्पर्य है जानने के लिए सुनें