प्रस्तुत है क्लेशक्षम ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन् मास कृष्ण पक्ष सप्तमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 5 अक्टूबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*798 वां* सार -संक्षेप
1 =कष्ट सहने में समर्थ
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हम दृढ़ विश्वास रखें कि हम केवल शरीर नहीं केवल मन नहीं केवल बुद्धि नहीं हैं अपितु इन सबका समुच्चय हैं
और प्राणों के माध्यम से परमात्मा ने हमारे आत्मतत्त्व को इस संसार में विचरण के लिए प्रेषित किया है यही अध्यात्म का चिन्तन है
संसार के संसरित होने के साथ साथ हम भी भिन्न भिन्न कर्म करते हुए सुख दुःख अच्छा बुरा आनन्द कष्ट का अनुभव करते करते संसरित होते रहते हैं परमात्मा की लीला अद्भुत है
यदि संसार इतना अधिक अद्भुत न लगे तो चिन्तक विचारक इस संसार के रचनाकार के प्रति बहुत अधिक समर्पित नहीं रह सकता
उलझनों में फंसे अर्जुन को भगवान कृष्ण समझाते हुए कहते हैं
मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा।
निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः।।3.30।।
हे अर्जुन सारे कर्मों का मुझ में संन्यास करके, आशा और ममता से दूर होकर, संताप के बिना तुम युद्ध करो
आचार्य जी ने पत्रकारों को पकड़े जाने से संबन्धित घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि हम अपने विवेक को जाग्रत रखें भ्रमित न रहें
ऐसे बहुत से लोग हैं जो बहुत जल्दी बहुत कुछ पा लेना चाहते हैं उनमें धीरज नहीं रहता अर्थात् वे धर्म से विमुख रहते हैं
यह समय ठीक नहीं चल रहा है देश को अस्थिर करने का बहुत से लोग मन्सूबा पाले हैं
सनातन धर्म को भी घृणा से देखने वाले बहुत से लोग हैं
इन सदाचार वेलाओं को सुनकर हम अपना मार्ग निर्धारित करें
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।3.35।।
हम अपने कर्तव्य को समझें
शिक्षक ने अपना कर्तव्य नहीं समझा
पराश्रयता की शिक्षा देने के कारण शिक्षक भ्रमित हो गया
योद्धा अपना धर्म भूल गया पत्रकार अपना धर्म भूल गया
जब धर्म का पालन नहीं तो मनुष्य के रूप में जन्म लेने का क्या लाभ
इसलिए हम अपने मनुष्यत्व को पहचानें
अपना आत्मबोध जाग्रत करें
उस दिशा को हम पहचानें और उसी ओर चलें जिसकी ओर आचार्य जी संकेत कर रहे हैं
हम अपने खान पान संगति व्यवहार आदि पर भी ध्यान दें
सत्कर्म करने का भाव रखें
मन बुद्धि पर नियन्त्रण रखें
प्रातः जल्दी जागें सात्विक भोजन करें सद्संगति करें अध्ययन स्वाध्याय लेखन में रत हों चिन्तन में गहराई लाएं
आसन प्राणायाम करें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने सुदामा का कौन सा प्रसंग बताया आदि जानने के लिए सुनें