24.11.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 24 नवम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण ८४८ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है प्रियङ्कार ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वादशी  विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 24 नवम्बर 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  ८४८ वां सार -संक्षेप


 1  स्नेह करने वाला


अत्यन्त दुःखद रहा कि कल देर शाम आचार्य श्री ओमशंकर जी के पूज्य मंझले भाईसाहब श्री लक्ष्मी शंकर जी  महाप्रस्थान कर गए अब उनकी स्मृतियां शेष रह गईं हैं 

यह संसार का सत्य है

ये सांसारिक दुःख सबको झेलने  पड़ते हैं  भाईसाहब आचार्य जी से बहुत स्नेह करते थे 

संसार में संबन्धों का बड़ा महत्त्व है संबन्ध इतना विस्तार ले लेते हैं कि हम वसुधा को ही अपना कुटुम्ब मानने लगते हैं

संबन्ध यादों में रहते हैं हमें इन संबन्धों का आदर करना चाहिए

 मृत्यु  निराशा कष्ट आदि  को पचाना पौरुष का प्रतीक है


जो हमारे आश्रित हैं वे व्याकुल न हों परिस्थितियों को झेलना सीखें इसका प्रयास करना चाहिए


औऱ उन्हें उनके कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाने का हौसला देना चाहिए 


मृत्यु एक सरिता है, जिसमें श्रम से कातर जीव नहाकर।

फिर नूतन धारण करता है, काया-रूपी वस्त्र बहाकर।


भगवान् भाईसाहब की आत्मा को शान्ति प्रदान करें और पूरे परिवार को इस दुःख से लड़ने की शक्ति प्रदान करें 


ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः