प्रस्तुत है आनृशंस ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज कार्तिक मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 27 नवम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*८५१ वां* सार -संक्षेप1 दयालु
हम इस सदाचार वेला का श्रवण कर चिन्तन मनन निदिध्यासन में जाएं इसका प्रयास करें गीता मानस उपनिषद् वेद समय पर काम दे जाएं तो इससे अच्छा क्या हो सकता है अपने अन्दर उठे तूफानों का शमन हम स्वयं कर लें यही आनन्दमयी जीवन है और वैसे तो सभी का जीवन समस्याओं से भरा हुआ है
मन हमारा मित्र है उसका सहयोग लें यदि मन मित्र हो जाता है तो हमारी समस्याएं भी सुलझ जाएंगी
काल बड़ा क्रूर है
आत्मीयता से दूर है
विषम परिस्थितियों में,अवेला में भावपूर्ण ढंग से निकली यह उक्ति बहुत बल देती है कि
जो करता है परमात्मा करता है
और परमात्मा सब अच्छा ही करता है
किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः।
तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्।।4.16।।
कर्म और अकर्म क्या हैं इस विषय में विद्वान् भी मोहित हो जाते हैं अतःउस कर्म-तत्त्व को मेरे द्वारा जानकर तुम संसार-बन्धन से मुक्त हो जाओगे
कर्म में अकर्म और अकर्म में कर्म देखने वाला मनुष्यों में बुद्धिमान्, योगी और सम्पूर्ण कर्मों को करने वाला है
(कर्मण्यकर्म यः पश्येदकर्मणि च कर्म यः।
स बुद्धिमान् मनुष्येषु स युक्तः कृत्स्नकर्मकृत्।।4.18।।)
चाहे मुक्ति हो या चाहे वैराग्य हो इसको स्थायी करने के लिए चिन्तन मनन अध्ययन
स्वाध्याय लेखन बहुत आवश्यक है
यस्य सर्वे समारम्भाः कामसङ्कल्पवर्जिताः।
ज्ञानाग्निदग्धकर्माणं तमाहुः पण्डितं बुधाः।।4.19।।
(सम्पूर्ण कर्मों का नाम समारम्भ है)
जिसके सारे कार्य कामना और संकल्प से रहित हैं, ऐसे ज्ञान की अग्नि में दग्ध कर्मों को करने वाले व्यक्ति को ज्ञानीजन पण्डित कहते हैं
आज से लगभग चालीस वर्ष पूर्व आचार्य जी द्वारा मुक्त छंद में लिखी
दुनिया की पाठशाला में प्राणी शिक्षार्थी
और शिक्षक काल....
कविता में संसार क्या है यह बताने का प्रयास किया गया है
मनुष्य जब संसार में रहता है तो कहता है
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
वसुधा को कुटुम्ब मानता है
और जब मुक्त होता है तो कहता है
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-
न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।2.22।।
रणक्षेत्र में भी उसे परमात्मा पर विश्वास है
यह समर्पण भी है और सान्निध्य भी है
इसके अतिरिक्त भैया ओम प्रकाश मोटवानी जी ने वाराणसी में किससे मिलने की इच्छा प्रकट की है आदि जानने के लिए सुनें