30.11.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष तृतीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 30 नवम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण *८५४ वां* सार -संक्षेप

 जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि।

बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि॥7(ग)॥

संसार में जितने भी जड़ चेतन जीव हैं उन सभी को राममय जानकर मैं उन सबके चरणों की सदैव दोनों हाथ जोड़कर वन्दना करता हूँ


प्रस्तुत है ज्ञान -अव्यथिष ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष तृतीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 30 नवम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण
  *८५४ वां* सार -संक्षेप

 1 ज्ञान का समुद्र



हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें अपना आत्मबोध जाग्रत करने के लिए विश्वास के प्रतीक ये सदाचार संप्रेषण उपलब्ध हैं
हमें अध्यात्म का भाव प्रदान करते ये संप्रेषण अद्भुत हैं
हम शक्ति बुद्धि विचार विश्वास के साथ भारत माता की सेवा में रत रहने का संकल्प करें

जब हमारी जिज्ञासाएं आत्मस्थ होने लगती हैं तो हमें अध्यात्म के दर्शन होने लगते हैं
आत्मस्थ होकर महात्मा तुलसीदास जी ने प्रारम्भ में वाणी और विनायक की वन्दना की है ताकि उनका लेखन सफल हो
वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।
मङ्गलानां च कर्त्तारौ *वन्दे वाणीविनायकौ*।।1।।


लेखन सफल होने पर ही उनका लक्ष्य भी सुफल होगा

आचार्य जी ने उपर्युक्त छंद की व्याख्या की

भवानीशङ्करौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ।
याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाःस्वान्तःस्थमीश्वरम्।।2।।

मां भवानी श्रद्धा और शिव जी विश्वास का स्वरूप हैं
श्रद्धा समर्पण है और विश्वास शक्ति -स्तम्भ है
तुलसी जी कथा राम जी की कहने जा रहे हैं लेकिन प्रारम्भ में शिव जी की उपासना कर रहे हैं
हमारा पौराणिक दर्शन अद्भुत है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने देववाणी परिचायिका पुस्तिका की चर्चा की
भैया पवन जी स्वामी रामभद्राचार्य जी स्वामी प्रेमानन्द जी की चर्चा क्यों की जानने के लिए सुनें