1.12.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष चतुर्थी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 1 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण ८५५ वां सार -संक्षेप

 हमारा देश पूरे विश्व भर की प्राणधारा है ,

भंवर में डूबते को एक सुखदायी किनारा है ,

मगर दुनिया दिवानी है कि इससे जूझती रहती ,

समझ पायी नहीं अब तक "यही अंतिम सहारा है " ।।



प्रस्तुत है आदृत ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  मार्गशीर्ष  कृष्ण पक्ष चतुर्थी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार  1  दिसंबर 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  ८५५  वां सार -संक्षेप


 1 प्रतिष्ठित


यूं तो हम लोगों का अधिकतर  समय सांसारिकता में चला जाता है लेकिन अध्यात्मार्णव में प्रवेश करने के ये जो क्षण हमें उपलब्ध हो जाते हैं यह हनुमान जी की कृपा से ही संभव है


इन सदाचार संप्रेषणों के सदाचारमय विचार हम सबके लिए अत्यन्त उपयोगी ऊर्जाप्रद और ग्राह्य हैं आचार्य जी नित्य हमें प्रेरित करते हैं

ये विचार संसार में रहने के लिए संसार की समस्याओं को सुलझाने के लिए अत्यन्त उपयोगी हैं


हमारा शरीर मन बुद्धि सब स्वस्थ रहे  हमारे अन्दर की ऊर्जा जाग्रत रहे हम  निराशावादी चिन्तन से दूर रहें इसके लिए हमें आत्मस्थ होने की चेष्टा करनी चाहिए

निराशाओं को शमित करने के लिए हमें और कहीं नहीं भटकना है हमें  अपने अन्दर 

देखना है अपने को पहचानने की चेष्टा करें हम परमात्मा के अंश हैं इसमें अतिशयोक्ति नहीं 


न मे द्वेश्रागौ न मे लोभमोहौ

मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः ।

न धर्मो न अर्थो न कामो न मोक्षः

चिदानन्दरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥3॥

जब ऐसा भाव रहता है तो भय और भ्रम दोनों भाग जाते हैं


 हम सौभाग्यशाली हैं सदाचारमय विचार हमें अनेक स्रोतों से प्राप्त होते रहे हैं यही हमारे सनातन धर्म की विशेषता है 

यह सनातनत्व अद्भुत है 

भारतवर्ष विश्व की आत्मा है 

हम शाश्वत हैं चिरन्तन हैं शक्तिसम्पन्न हैं


देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा।


तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति।।2.13।।

 


हम तत्त्व हैं



मैं शरीर मन विचार और मात्र तत्व नहीं हूं 

मैं तत्त्व शक्ति विश्वास का सामञ्जस्यपूर्ण स्वरूप हूं

(एकात्म मानवदर्शन ) मैं संसार और संसारेतर दोनों हूं 


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मनोज अवस्थी जी की चर्चा क्यों की   पहाड़िया जी मोहन भागवत जी प्रेमानन्द जी का नाम क्यों आया

एक और स्वामी अभेदानन्द जी की चर्चा क्यों हुई

आदि जानने के लिए सुनें