कोई भी राष्ट्र अपने पर-जयी स्वातंत्र्य-युद्धों के वर्णनों से युक्त ऐतिहासिक पृष्ठों का सम्मान इसी प्रकार ‘स्वर्णिम पृष्ठ’ कहकर करता है।”
-वीर सावरकर*भारतीय इतिहास के छः स्वर्णिम पृष्ठ* पुस्तक में
प्रस्तुत है ज्ञान -अम्बुप ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अमावस्या विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 12 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*८६६ वां* सार -संक्षेप
1 ज्ञान का समुद्र
इन सदाचार संप्रेषणों की महत्ता इसलिए बढ़ जाती है कि हम अध्यात्म के द्वार के अन्दर प्रवेश कर अपने आत्मतत्त्व के दर्शन करने का प्रयास करते हैं आत्मबोध में रत होना महत्त्वपूर्ण है
आत्मबोध के साथ आत्मशोध की भी आवश्यकता है या यूं कहें आत्मबोध के साथ इस जगत में शोध की आवश्यकता है क्या अपना है क्या पराया है इसे परखें
युगभारती इसी तरह के विषयों को लेकर चिन्तन करे फिर इनके निष्कर्ष निकाले और उन्हें प्रकाशित करे
भारतवर्ष की वह जनता जो भारतवर्ष से संयुत है उसकी जनभावना की अन्तर्ध्वनि अब सुप्त नहीं है धीरे धीरे अब यह जाग्रत हो रही है
भारतीय जनमानस स्वार्थ लोभ में सत्व का त्याग नहीं करता
हम राष्ट्रभक्त राष्ट्रवादी नीतियों से संतुष्ट हैं लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जो इन नीतियों का विरोध कर रहे हैं आत्मानन्द में रहने वाले हम ऐसे स्वार्थी लोभी लोगों से सचेत रहें
भारतीय जनमानस का यह जागरण बहुत से दुष्टों को भा नहीं रहा है वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः का भाव लेकर हम चलें हैं हमें संतुष्ट होकर बैठना नहीं है अभी बहुत काम बाकी है
शौर्य प्रमंडित अध्यात्म का भाव अद्भुत है
हर व्यक्ति यह विश्वास रखे कि वह देश का सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति है जंजीर का भाव संगठन का भाव है
राष्ट्र के लिए हम कितना कर रहे हैं यह आकलन करें
अपना कार्यव्यापार भी पूर्ण निष्ठा से करें यह भी राष्ट्र निष्ठा है
हम कहते हैं धरती है परिवार हमारा
तुमको अपनी बंद कोठरी ही भाती है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने विद्रोही जी अटल जी मोरार जी चरण सिंह जी कवि सुकंठ जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें