15.12.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 15 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण *८६९ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है निरावसाद ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 15 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण

*८६९ वां* सार -संक्षेप

1 प्रसन्न

भाव विचार और क्रिया की त्रयी का सामञ्जस्य अद्भुत परिणाम देता है इन तीनों के सामञ्जस्य से व्यक्ति पराक्रम करने में ऊहापोह की स्थिति में नहीं रहता ऐसे निभृताचार को कृतकार्यों पर पश्चात्ताप नहीं होता ऐसे व्यक्ति समाज में सुरभि फैलाते हैं वे विशेष लगते हैं
बिना विचार के कार्य करने पर

जग में होत हंसाय, चित्त चित्त में चैन न पावै।
खान पान सन्मान, राग रंग मनहिं न भावै॥

कह 'गिरिधर कविराय, दु:ख कछु टरत न टारे।
खटकत है जिय मांहि, कियो जो बिना बिचारे॥


हमें अपनी भावनाओं के दर्शन करना चाहिए हमारे भीतर भावनाएं हैं लेकिन हमें उनकी अनुभूति नहीं होती ध्यान आत्मबोध और आत्मशोध दोनों का आधार है यही सदाचार है ध्यान में मन का अत्यधिक सहयोग होता है

संसार लगातार संसरणशील रहता है चरैवेति चरैवेति हमारा मन्त्र है
चलने का नामं ही जीवन है
हम भास्वर अपना लक्ष्य ध्यान में रखें गम्भीर लोगों को अपने साथ रखें और हल्के लोगों से दूरी बनाएं अपने खानपान के दुर्गुणों को दूर करें जागरण शयन उचित समय करें

दुनिया कितनी बदल गई है
हमें दुनियादारी की कुटिलता को भी हमें जानना चाहिए
जैसा कि हम जानते हैं 11 मई, 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। इसके आधार पर आचार्य जी ने एक काव्यरचना की थी

जागो फिर से पूरब ललराया है
जम चुका मानसर फिर हलराया है....
हम अपने भारतीय तत्त्व को जाग्रत रखें
शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलम्बन और सुरक्षा को हमने सिद्धान्त बनाया है
संस्कारपरक शिक्षा से ही व्यक्तित्व का सम्यक निर्माण हो सकता है। हम चिन्तन करें कि क्या हम अपने आसपास के एक व्यक्ति को भी सुशिक्षित कर पा रहे हैं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने वीर कुंवर सिंह, भीष्म पितामह, देवरहा बाबा का नाम क्यों लिया संसद की चर्चा क्यों हुई जानने के लिए सुनें