जलाओ दीप सब अपने अँधेरा भाग जाएगा,
जहाँ जो भी पड़ा होगा वहीं वह जाग जाएगा,न कोसो बैठकर उनको जिन्हें अँधियार भाता है,
सुहाया है उन्हें हरदम वही अब भी सुहाएगा।
प्रस्तुत है निभृताचार ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष चतुर्थी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 16 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*८७० वां* सार -संक्षेप
1 दृढ़ आचरण का व्यक्ति
संगठन और संस्था में अन्तर होता है संगठन का एक बृहद् लक्ष्य होता है जैसे हमारे संगठन युगभारती का लक्ष्य है
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
और इसके लिए संगठित होना अनिवार्य है क्योंकि
सङ्घे शक्ति: कलौ युगे
इस समय देश गम्भीर संकट में है
कहनी है हम इक बात देश के पहरेदारों से,
संभल के रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से,
झाँक रहे हैं अपने दुश्मन अपनी ही दीवारों से,
संभल के रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से,
आस्तीन के सांप बहुत खतरनाक होते हैं इन गद्दारों के छोटे संगठन भी खतरनाक हैं
इसलिए हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम जब भी कोई कार्यक्रम करें इस ओर भी ध्यान दें अपना लक्ष्य ध्यान में रखें उस लक्ष्य के लिए क्या क्या किया इसकी चर्चा करें
युगभारती के जितने भी छोटे छोटे समूह हैं उनमें जाग्रत संबंध बना रहे इसका प्रयास करें इससे उत्साह बनता है
२४ दिसंबर को होने वाले कार्यक्रम में हमें इसका ध्यान रखना है
यह आनन्द का कार्यक्रम ही न रह जाए
अगर हमारी आवाज कोई भी नहीं सुनता हो तो हममें अकेले ही चलने का साहस होना चाहिए
जानता स्वर्ण नगरी है यह पर ओढ़े सीतारामी हूं
हो कोई साथ नहीं फिर भी अपने पथ का अनुगामी हूं...
जब जागें तब सवेरा है हम अब जाग जाएं और लक्ष्य प्राप्ति तक रुकें नहीं समय समय पर और लोगों को जाग्रत करें
भारतवर्ष को अपने स्वाध्याय समर्पण सेवा कर्म से सशक्त संस्कारित और समृद्ध बनाना है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें