भाग छोट अभिलाषु बड़ करउँ एक बिस्वास।
पैहहिं सुख सुनि सुजन सब खल करिहहिं उपहास॥8॥मेरा भाग्य छोटा है किन्तु इच्छा बहुत बड़ी है, तब भी मुझे विश्वास है कि इसे सुनकर सज्जन सभी सुख पाएंगे दुष्ट हँसी करेंगे
प्रस्तुत है निशिचार -रिपु ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष षष्ठी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 18 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*८७२ वां* सार -संक्षेप
1 निशिचार =राक्षस
इन सदाचार संप्रेषणों का मूल उद्देश्य है कि हम अपना विवेक जाग्रत रखें, हमारा मालिन्य मिटा रहे,सन्मार्ग पर चलते हुए पौरुष और पराक्रम को पूजें , पथभ्रष्ट न हों,मनुष्यत्व का अनुभव करते हुए समाज -हित और राष्ट्र -हित के कार्य करें , परस्पर प्रेम आत्मीयता का भाव रखें,आस्तीन के सांपों से सावधान रहें, सकारात्मक सोच के लिए आवश्यक उपाय करते रहें वर्तमान पीढ़ी ,जो भारत का भविष्य है, का मार्गदर्शन कर उसे राष्ट्रोन्मुखी चिन्तन में लगाएं शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलंबन और सुरक्षा का चतुष्टय हम युगभारती के सदस्यों के मन मस्तिष्क में छाया रहे
इन सदाचार संप्रेषणों की महत्ता इसलिए बढ़ जाती है कि हम अध्यात्म के द्वार के अन्दर प्रवेश कर साधनामय विचारों की अनुभूति करते हुए ईश्वर की कृपा से अपने आत्मतत्त्व के दर्शन करने का प्रयास करते हैं
सदाचारमय विचार ग्रहण करने के अद्भुत परिणाम सामने आते हैं और तब
यस्तु सर्वाणि भूतानि आत्मन्येवानुपश्यति।
सर्वभूतेषु चैतमानं ततो न विजुगुपस्ते ॥
सभी भूतों या सत्ताओं को परम आत्मा में ही देखा जाता है, वह हर जगह एक ही आत्मा का प्रत्यक्ष दर्शन करता है, किसी से कतराता नहीं और न ही घृणा करता है
परमाणु से परब्रह्म तक संसार की अद्भुत रचनाएं हैं
पद पाताल सीस अज धामा। अपर लोक अँग अँग बिश्रामा॥
भृकुटि बिलास भयंकर काला। नयन दिवाकर कच घन माला॥ (लंका कांड )
अधर लोभ जम दसन कराला। माया हास बाहु दिगपाला॥
आनन अनल अंबुपति जीहा। उतपति पालन प्रलय समीहा॥
माया जिनकी हँसी है परमात्मा जब हंसता है तो हम मोह की दुनिया में आनन्दित होने लगते हैं यूं तो वह सदा ही हंसता मुस्कराता रहता है ताकि हम इस दुनिया के प्रपंचों में फंसे रहें
(उभय बीच श्री सोहइ कैसी।) ब्रह्म जीव बिच माया जैसी॥
संबन्धों का संसार हमें भी आनन्द देने लगता है
यह हमारा आर्ष चिन्तन है हमारे ऋषि अनुसंधानकर्ता हैं इनके मन बुद्धि विचार शक्ति भक्ति विश्वास से परिपुष्ट रहते हैं
आचार्य जी ने विद्या और अविद्या में अंतर बताया
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मनीष कृष्णा भैया प्रदीप भैया दीपक शर्मा का नाम क्यों लिया फिल्म मेरा नाम जोकर का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें