25.12.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 25 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है उत्साहहेतुक ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  मार्गशीर्ष  शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार  25 दिसंबर 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  ८७९ वां सार -संक्षेप


 1  कार्य करने की दिशा में प्रोत्साहन देने वाला




सुकर्मों की ओर प्रेरित करते इन भावनात्मक, तात्विक  और राष्ट्र -भक्तों के मनोनुकूल सदाचारमय विचारों का मूल उद्देश्य है कि हम अपना  मानसिक आंतरिक जीवन समृद्ध करें पौरुष सामर्थ्य पराक्रम को पूजें ,मनुष्यत्व का अनुभव करते हुए समाज -हित और राष्ट्र -हित के कार्य करें ,  प्रेम  आत्मीयता का भाव रखें, देश के प्रति दुर्भाव रखने वाले आस्तीन के सांपों के फन को कुचलें 

 असीम शक्तियों के पुञ्ज किन्तु भ्रमित हम लोग  स्वयं को  संपूर्ण जीवन जीने के सार्वभौमिक उपाय अध्यात्म के प्रकाश से  प्रकाशित करने का प्रयास करें 



मानव- जीवन इन सब का अद्भुत संगम है, 

इसमें अवगाहन करना भी सौभाग्य परम। 

तट को छू कर जो लौट पड़ा भ्रम भय लपेट, 

सचमुच ही उससे दूर हुआ सब करम धरम। ।



, हमारे भीतर सात्विक जिज्ञासाओं का प्रादुर्भाव हो, हम अपना खानपान तो उचित रखें ही  अपनों का खानपान  भी उचित हो इसके प्रयास करें


सृष्टि की रचना सृष्टि का संवर्धन विलयन सर्वशक्तिमान् परमात्मा की लीला है

जो यह नहीं  भी मानता है परमात्मा उसे बाध्य कर देता है 

जन्म जन्म मुनि जतनु कराहीं। अंत राम कहि आवत नाहीं॥

जासु नाम बल संकर कासी। देत सबहि सम गति अबिनासी॥2॥


इस सृष्टि में नए बीजों का रोपण अङ्कुरण  और विस्तार और इसके पश्चात् उस परिपक्व फसल का सदुपयोग सृष्टि का एक संयमपूर्ण सुखद अध्याय है

इसके नियमन की चिन्तना


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ll


वाली भावभूमि पर स्थित 

 हमारे भारतीय जीवन दर्शन/ हिन्दू जीवन पद्धति का एक अङ्ग है


जब कोई इसे संकुचित करने का प्रयास करता है तो भावनामय व्यक्ति आवेशित हो जाते हैं बुद्धिप्रधान व्यक्ति चिन्तन की गहराइयों में उतर जाते हैं और भावना बुद्धि के सामञ्जस्य से संगठन खड़ा कर देते हैं


युगभारती एक ऐसा ही संगठन है जिसका कल एक सफल  भावनापूर्ण कार्यक्रम हुआ उस कार्यक्रम हेतु कुछ लक्ष्य बने थे जो पूर्ण भी हुए


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने विद्यालय के वर्तमान प्रधानाचार्य जी के विषय में क्या बताया संगठन परिवार कैसे बनता है इसके लिए क्या सुझाव दिया भैया मनीष जी के किस लक्ष्य की चर्चा की आदि जानने के लिए सुनें

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