27.12.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 27 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण *८८१ वां* सार -संक्षेप

 


उदभव पालन प्रलय कहानी। कहेसि अमित आचरज बखानी।।
सुनि महिप तापस बस भयऊ। आपन नाम कहत तब लयऊ।।

प्रस्तुत है अप्रगम ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 27 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
  *८८१ वां* सार -संक्षेप

 1 इतनी शीघ्रता से जाने वाला कि दूसरे व्यक्ति जिसका अनुसरण न कर सकें

एकांगीपन से दूर रहने के लिए संकल्पित उदयाचल के उपासक कर्मानुरागी हम राष्ट्र -भक्तों को आचार्य जी नित्य सदाचारमय विचारों से प्रेरित करते हैं

जो कोई समझे सैन में, तासो कहिये बैन ।

सैन बैन समझे नहीं, तासों कछु न कैन ।

 ताकि हम अपनी असीमित शक्तियों जैसे सृजन की शक्ति संघर्ष की शक्ति रामत्व आदि को पहचान लें कादर्य भाव से दूर रहें संगठन के महत्त्व को स्वीकारते हुए राष्ट्र-हित और समाज -हित के कार्य निर्लिप्त भाव से करते रहें अस्ताचल देशों की जीवनशैली के दुर्गुणों की भर्त्सना करते हुए भारतीय जीवनशैली के सद्गुणों को अपनाएं और उन सद्गुणों की विशेषता नई पीढ़ी को बताकर उसे भ्रमित होने से बचाएं

व्यस्तता मनुष्य का संसार में मन लगाए रहती है हमें मनुष्य -योनि कर्म करने के लिए मिली है कर्म के माध्यम से हम धर्म की उपासना करते हैं कर्म में लगे रहने से धर्म की अनुभूति होगी ही
मनुष्यों के कर्म प्रयत्नों से परिवर्तित होते रहते हैं प्रयत्न मनुष्य के वश की ही बात है
कर्तृत्वशक्ति मनुष्य के लिए अद्भुत प्राप्ति है इसी के कारण मनुष्य कर्म करने में लगा रहता है वह संसार में तब तक रमा रहता है जब तक उसका मन संसार में रमे रहने का होता है
और उसे जब ज्ञान की प्राप्ति होती है तो आत्म परमात्म से
मिलने के लिए व्याकुल हो जाता है यह अध्यात्म है
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्‌।
तत् त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ॥

सत्य का मुख चमकीले सुनहरे ढक्कन से ढका हुआ है हे पोषण करने वाले सूर्यदेवता!
सत्य के विधान की प्राप्ति के लिए, साक्षात् दर्शन के लिए आप वह ढक्कन अवश्य हटा दें
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम लोग गीता के अठारहवें अध्याय में ४९ से ५५ तक के छंद बहुत अच्छे ढंग से पढ़ें
ईशावास्योपनिषद् का भी अध्ययन करें
अध्ययन चिन्तन मनन से हमारे अंदर असीमित शक्ति प्रवेश कर जाएगी

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने कलम के सिपाही बचनेश जी का शस्त्र संबन्धित कौन सा प्रसंग बताया डा पंकज जी का नाम क्यों लिया आदि जानने के लिए सुनें