28.12.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का पौष कृष्ण पक्ष द्वितीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 28 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण *८८२ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है अप्रतिद्वन्द्व ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष कृष्ण पक्ष द्वितीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 28 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण

  *८८२ वां* सार -संक्षेप

 1 अनूठा

स्थान :कानपुर

अन्तर्दृष्टि स्वयं की शुद्धि हेतु होती है आत्मावलोकन से हमारा स्वयं का वास्तविक विकास होता है विद्या ज्ञान समझदारी प्राप्त होती है इसी आत्मावलोकन की महत्ता को आचार्य जी इन वेलाओं में बताते हैं और हमें ध्यान दिलाते रहते हैं कि हम अपनी जीवनशैली के प्रति सचेत रहें

बाह्यावलोकन से अविद्यामय संसार को देखकर लाभ लोभ तो मिलता रहेगा लेकिन आत्मानन्द नहीं मिलेगा
मनुष्य जीवन

जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबह ओ शाम
जीवन चलने का नाम
चलते रहो सुबह ओ शाम

 विशिष्ट है दुर्लभ है और इस तरह मनुष्य भाग्यशाली है कि उसे मानव जीवन मिला है जिनका जन्म भारतवर्ष में हुआ है और यदि वे अनुभव करते हैं कि इस पुण्य यज्ञमयी धरा पर जन्मे हैं तो और अधिक भाग्यशाली हैं
भारत अद्भुत देश है विविधताओं से भरा है
राम कृष्ण शिव हमारे आराध्य हैं

मानव का स्वभाव होता है कि वह खोजी प्रवृत्ति का होता है खोज करते करते वह प्रसिद्धि पा जाता है इनमें कुछ ऐसे होते हैं जो प्रसिद्धि पर ध्यान न देकर लक्ष्य पर चलते ही रहते हैं मानव समाज उन्हें विशेष महत्त्व देता है

 मनुष्य जितना कर्मरत रहता है उसका जीवन उतना ही उत्साह में बना रहता है एकांत में होने पर वह यादों में खो जाता है यदि वे यादें हमें आनन्दित करती हैं तो इसका अर्थ है हमारा जीवन सही दिशा में चल रहा है
यदि विषाद में भर देती हैं तो इसका अर्थ है हम कहीं भटक रहे हैं
आचार्य जी नित्य प्रयास करते हैं कि हम चिन्तन मनन अध्ययन स्वाध्याय लेखन में हम रत हों
मनुष्यत्व की अनुभूति करें
हम कौन हैं हमारा क्या उद्देश्य है
हम हैं
चिदानन्द रूपस्य शिवोऽहं शिवोऽहम्
हम वही हैं जिसने यह सृष्टि रची है
इस अनुभूति से ही मनुष्य को मोक्ष प्राप्ति हो जाती है

जेताइ दीसां धरनि गगन मां ते ताईं उठि जासी।
तीरथ बरतां आन कथन्तां कहा लयां करवत कासी l

इसके अतिरिक्त उत्तरवाहिनी गंगा का क्या अभिप्राय है आचार्य जी ने कवि मदन वात्स्यायन की चर्चा क्यों की भैया विनय अजमानी जी भैया मलय जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें