तन के हवनकुण्ड में सात्विकता की आहुति दें,
तेजस्वी अर्चिक प्रकाश से जीवन को गति दें।कर दें पर्यावरण कान्तिमय आत्मशक्ति भर लें,
शक्ति भक्ति अनुरक्ति वृत्ति को मंगलमय कर दें।
प्रस्तुत है अप्रतिभट ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष कृष्ण पक्ष द्वितीया /तृतीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 29 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*८८३ वां* सार -संक्षेप
1 बेजोड़ योद्धा
स्थान :उन्नाव
आचार्य जी नित्य हम शिष्यों का इन सदाचार वेलाओं के माध्यम से मार्गदर्शन करते हैं
हम अपने सत्व को, तत्व को स्मरण करते हुए अपने व्यवहार का चिन्तन मनन करें और दूसरों को भी यही बताएं
आचार्य जी सचेत कर रहे हैं कि हम केवल उपयोग के साधन न बनें हमारी उपयोगिता राष्ट्र के लिए हो इसका चिन्तन करें
गुरुशिष्यमय सांसारिक व्यवस्था शास्त्रसिद्ध होने के साथ साथ संसार का यथार्थ स्वरूप भी है
को व गुरुर्यो हि हितोपदेष्टा
शिष्यस्तु को यो गुरुभक्त एव।
यह भगवान् आदिशङ्कराचार्य का उद्घोष है जिनके विचारोपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित हैं जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है।
हम अणु आत्मा विभु आत्मा के अंश हैं हम मनुष्य के रूप में जन्मे हैं जब हम मनुष्य मनुष्यत्व की अनुभूति को दूर कर देते हैं तो अनेक विकारों से ग्रस्त हो जाते हैं लेकिन जब मनुष्य को ये विकार वास्तविक विकार लगने लगते हैं तो कहता है
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्।
तत् त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ॥
ईशावास्योपनिषद् श्लोक १५
इसी ईशावास्योपनिषद् का पहला श्लोक हमारे संगठन युग भारती की प्रार्थना का अंश है
हमारे संगठन का उद्देश्य है
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
हमें अपना उद्देश्य सदैव ध्यान में रखना चाहिए इसके लिए नित्य हमें जागरण से लेकर शयन तक शौर्य प्रमंडित अध्यात्म के आधार पर अपनी एक उत्तम व्यवस्था बनानी चाहिए
सारस्वत नगर निवासी, हम आये यात्रा करने;
यह व्यर्थ रिक्त जीवन घट, पीयूष सलिल से भरने।
इस वृषभ धर्म प्रतिनिधि को, उत्सर्ग करेंगे जाकर।
चिर मुक्त रहे यह निर्भय, स्वछंद सदा सुख पाकर।”
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने २२ जनवरी २०२४ के विषय में क्या बताया
युगभारती रजत जयन्ती कार्यक्रम आदि को किस प्रकार और अधिक उन्नत बनाएं आदि जानने के सुनें