30.12.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी (को व गुरुर्यो हि हितोपदेष्टा ) का पौष कृष्ण पक्ष तृतीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 30 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण *८८४ वां* सार -संक्षेप

 


कभी संकट पड़े तो स्वयं का धीरज नहीं खोना,
व्यथाएं आ घिरें तो भी विकल आकुल नहीं होना ,
समय है , एक जैसा हर समय बिल्कुल नहीं रहता ,
जो स्थिर ही नहीं उसके लिए क्यों बैठकर रोना ।।
✍️ओम शंकर


प्रस्तुत है स्थिरात्मन् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी
(को व गुरुर्यो हि हितोपदेष्टा )
 का आज पौष कृष्ण पक्ष तृतीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 30 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
  *८८४ वां* सार -संक्षेप

 1 विचार या संकल्प का पक्का

मनुष्य का मन और तन अभ्यास का अभ्यासी है यदि हम सदाचारमय विचारों को सुनने के अभ्यासी हो जाएं तो निश्चित रूप से हमारा कल्याण होगा उन्नत जीवन के नये नये सोपानों का आरोहण होगा ये विचार हमें अपनी जीवनशैली के प्रति सचेत करते हैं आत्मावलोकन की ओर उन्मुख करते हैं हम उदयाचल के उपासकों को एकांगीपन और अस्ताचल देशों की जीवनशैली के दुर्गुणों से दूर रहने के लिए प्रेरित करते हैं समाज -हित और राष्ट्र -हित हेतु कर्मानुरागी बनने का उत्साह जाग्रत करते हैं चिन्तन मनन अध्ययन स्वाध्याय लेखन ध्यान धारणा की ओर उन्मुख करते हैं


अध्यात्म हमें अन्तर्मन में प्रविष्ट कराता है और हमें अनुभव कराता है कि हम केवल शरीर नहीं हैं जब हमें लगता है कि हम शरीर हैं तो अनगिनत विकार हमें घेर लेते हैं इन्हीं बातों को देखकर ऋषि जब चिन्तन की गहराइयों में उतरता है तो कहता है
 
हिरण्मयेन पात्रेण सत्यस्यापिहितं मुखम्‌।
तत् त्वं पूषन्नपावृणु सत्यधर्माय दृष्टये ॥

विकार तो बहुत हैं जैसे भारत गांवों का देश है कृषि प्रधान देश है लेकिन गांव उपेक्षित हैं
इनकी उपेक्षा से जीवन की कल्पना करना असंभव है
युगभारती कम से कम एक गांव गोद ले इस ओर हम सब लोग प्रयास करें अपना समय गांव के लिए निकालें


चलो गांव की ओर साथियों चलो गांव की ओर
जहां अभी कोयल गाती है और नाचते मोर साथियों
चलो गांव की ओर....


ज्ञान जब व्यवहार में आता है तभी फलीभूत होता है
आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि रामजन्मभूमि उत्सव हेतु गांव गांव हम लोग जाएं एक एक व्यक्ति से मिलें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने वह कौन सी कथा बताई जिसमें एक युवा पुत्र जब दूसरी रानी पर आकर्षित हो गया तो क्या हुआ जानने के लिए सुनें