प्रस्तुत है अमोघबल ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष एकादशी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 8 दिसंबर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*८६२ वां* सार -संक्षेप1 अटूट शक्ति सम्पन्न
संसार अद्भुत है इसकी विलक्षणता अवर्णनीय है यह संबन्धों का संसार है जिनसे हमारे संबन्ध मधुर और गहरे होते हैं उनकी बुरी बात भी अच्छी लगती है
जौं बालक कह तोतरि बाता। सुनहिं मुदित मन पितु अरु माता॥
हँसिहहिं कूर कुटिल कुबिचारी। जे पर दूषन भूषनधारी॥5॥
जैसे बालक तोतले वचन बोलता है, तो उसके माता-पिता प्रसन्नतापूर्वक सुनते हैं
किन्तु बुरे लोग जिन्हें पराए दोष ही अच्छे लगते हैं हँसते हैं
इस भारत की धरती पर जन्म लेने वाले रहने वाले व्यक्ति और व्यक्तित्व को पूरी वसुधा ही कुटुम्ब लगी क्योंकि उसका प्रेम का विस्तार अपरिमित हो गया
हमारे लिए ईमानदारी धर्म है हम धर्म के मर्म को समझते हैं
हमारी भाषा भावों की उत्पत्ति है
हमारी भाषा अत्यन्त सूक्ष्म भावों को व्यक्त करती है इसी कारण हमारा कार्य भी अत्यन्त गहरा है हमारी भाषा हमारा देश हमारे संबन्ध शास्त्र ग्रंथ अद्भुत हैं
हमें अपने पर विश्वास करना चाहिए हम परमार्थ की भावना रखते हैं वैदेशिक शक्तियों के दोष हमारे अन्दर की शक्ति से समाप्त होंगे
कुछ काम तो करना ही होगा
न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते।
न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति।।3.4।।
व्यक्ति न ही कर्मों का आरम्भ किये बिना निष्कर्मता को पाता है और न कर्मों को त्यागने से सिद्धि को ही
इस काम को सलीके से करने पर सुख मिलेगा
हमारा खाना पीना सोना जागना व्यवहार भी शास्रोक्त होना चाहिए
मोरेहु कहे न संशय जाही । विधि विपरीत भलाई नाही ॥
शरीर को व्यवस्थित रखने के लिए जीवन चर्या है
मन किस तरह प्रसन्न रहे इस पर विचार करते रहें
हमें ध्यान भी लगाना चाहिए
आत्मविश्वास में वृद्धि होगी
हमारे ग्रंथ अद्भुत हैं उनका लाभ लें
युगभारती की प्रार्थना से भी शक्ति मिल सकती है
इन सब बातों से कर्म के प्रति लगाव उत्पन्न होता है
अध्ययन स्वाध्याय चिन्तन मनन आदि पर ध्यान दें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया शिवेन्द्र जी भैया राघवेन्द्र जी का नाम क्यों लिया अपने संविधान के लिए क्या सुझाव दिया The Gessler Brothers की चर्चा क्यों हुई जानने के लिए सुनें