नववर्ष नहीं यह रामवर्ष उल्लास उमंगों वाला है
हर राष्ट्र -भक्त उल्लसित आज निशचर कुल का मुंह काला है-आचार्य श्री ओम शङ्कर जी
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
प्रस्तुत है स्थिरचेतस् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष कृष्ण पक्ष पञ्चमी /षष्ठी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 1 जनवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण
*८८६ वां* सार -संक्षेप
1 विचार या संकल्प का पक्का
समय आये तो इसका लाभ उठाते हुए शक्ति का उल्लास, भक्ति का विश्वास और आत्मशक्ति का विकास होना ही चाहिए ऐसे अवसर को चूकना नहीं चाहिए
इन सदाचार संप्रेषणों के रूप में हमें ऐसा ही समय मिला है हमें इसका लाभ उठाकर आत्मबोधोत्सव मनाना चाहिए अग्नि के अङ्गारे शान्त नहीं बैठते
प्राणिक ऊर्जा के प्रकाश से जीवन-पथ का तिमिर हटाएँ ।
सम्मोहन के घटाटोप से
आत्मज्योति को मुक्त बनाएँ। ।
समय पौरुष पुरुषार्थ की परीक्षा लेता है जिसमें भारतवर्ष सदैव सफल रहा है
मैंने छाती का लहू पिला पाले विदेश के क्षुधित लाल।
मुझ को मानव में भेद नहीं, मेरा अंतस्थल वर विशाल।
जग के ठुकराए लोगों को, लो मेरे घर का खुला द्वार।
अपना सब कुछ लुटा चुका, फिर भी अक्षय है धनागार l
मैं तेज पुंज, तमलीन जगत में फैलाया मैंने प्रकाश।
जगती का रच करके विनाश, कब चाहा है निज का विकास?
शरणागत की रक्षा की है, मैंने अपना जीवन दे कर।
विश्वास नहीं यदि आता तो साक्षी है यह इतिहास अमर।
ऐसा अद्भुत है इतिहास हमारा
तुलसी सरनाम गुलामु है राम को, जाको, रुचै सो कहै कछु ओऊ।
माँगि कै खैबो, मसीत को सोईबो, लैबो को, एकु न दैबे को दोऊ॥
मसीत अब पुनः मंदिर के रूप में हमारे सामने है
राम मंदिर बन जाने से संपूर्ण भारत की अस्मिता का भावावेग जाग गया है
राम जपु, राम जपु, राम जपु, बावरे ।
घोर-भव नीर-निधि नाम निज नाव रे ll
राम मंदिर हेतु श्रद्धेय अशोक सिंघल जी का योगदान भुलाया नहीं जा सकता उन पर लिखी आचार्य जी की ये पंक्तियां देखिए
जय श्रीराम" शौर्य-स्वर देकर जिसने देश जगाया था ,
जिस स्वर ने हिंदुत्व धार को खरतर कर चमकाया था ,
जिसने भाव भक्ति को विक्रम का उद्बोध कराया था,
जिसने दंभी राजतंत्र को घुटनों बल बैठाया था....
साधकों की साधना सतत चलती रहती है
हम लोग भी गांव गांव जाएं और दीप जलाएं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने श्री गुलाब सिंह परिहार जी का नाम क्यों लिया एक शिक्षा मन्त्री की चर्चा क्यों हुई
आदि जानने के लिए सुनें