14.1.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 14 जनवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है ज्ञान -शर्मन् ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  पौष शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रम संवत् २०८० तदनुसार  14 जनवरी 2024 का  सदाचार संप्रेषण 

  *८९९ वां* सार -संक्षेप


 1  ज्ञान का घर


आइये प्रवेश करें आज की  धर्माधारित वेला में 


विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय ।


खलस्य साधोर्विपरीतमेतत् ज्ञानाय दानय च रक्षणाय ॥


दुष्ट की विद्या विवाद हेतु धन उन्माद हेतु और शक्ति दूसरों के दमन के लिये होती है। जब कि सज्जन विद्या को ज्ञान,धन को दान  और शक्ति को दूसरों की रक्षा हेतु उपयोग करते हैं।


हमारे मन में भी सज्जन जैसे भाव रहेंगे तब राम राज्य की स्थापना होगी


गांधी जी ने भी रामराज्य की कल्पना की थी


बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग।

चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहिं भय सोक न रोग॥20॥

सारे लोग अपने अपने वर्ण व आश्रम के अनुकूल धर्म में तत्पर हुए हमेशा वेद मार्ग पर चलते हैं और सुख पाते हैं। उन्हें न किसी बात का भय( मृत्यु से भी नहीं) है, न शोक है और न ही कोई रोग  सताता है

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥

सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥1॥


भगवान् राम के जीवन से हमारे भीतर विशिष्ट प्रकार की स्फुरणा उत्पन्न हो जाती है


सुप्त रूप में रामत्व हमारे भीतर प्रविष्ट है


अगस्त्य ऋषि ने भगवान् राम को आदित्य हृदय मन्त्र के पाठ का परामर्श दिया था और उसके जप से भगवान् राम ने रावणी शक्ति को पराभूत किया


हम अपनी शक्ति बुद्धि विचार कौशल का उपयोग समाज हेतु करें


हम शौर्य शक्ति की उपासना के साथ ही अध्यात्म का आश्रय लें

ताकि बुरे लोग भयभीत हो सकें

चैतन्ययुक्त चरित्रसम्पन्न विचारशील लोगों का संगठन अत्यन्त आवश्यक है

चिन्तक मनीषी विचारक जिनमें    राष्ट्र -भाव के अङ्कुरण हैं   एकत्र होकर नए नए निर्णय कर सकते हैं

आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम भी श्री रामजन्मभूमि के २२ जनवरी २०२४ के कार्यक्रम के जनजागरण हेतु लोगों को एकत्र करें उनसे वार्ता करें

उत्साह जब उत्सव में परिवर्तित हो जाता है तो बहुत लोग संयुत हो जाते हैं

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया कि

हमारे देश की पौराणिक आध्यात्मिक विधि व्यवस्था का स्वरूप अद्भुत है


हमारे यहां भगवा का विशेष महत्त्व है 

भगवा त्याग समर्पण शक्ति का प्रतीक होता है अग्नि भगवा रंग की होती है उदय के समय सूर्य भी भगवा रंग का होता है


इनमें अद्भुत पावित्र्य है और भस्मीभूत करने की अपार शक्ति है



प्रयत्नशीलता हमारे देश की संस्कृति की विशेषता है दुर्गुणों की बहुतायत में सद्गुण  बीज रूप में सुरक्षित रहता है

वह बीज समय समय पर पल्लवित होता है


इसके अतिरिक्त गांव की ओर चलने का अर्थ क्या है भैया मुकेश जी का उल्लेख क्यों हुआ कृत्य कल्प तरु पुस्तक की चर्चा क्यों हुई जानने के लिए सुनें