प्रस्तुत है सगुण ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 17 जनवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण
*९०२ वां* सार -संक्षेप
1 सद्गुणी
आचार्य जी नित्य प्रयास करते हैं कि हम कुछ समय आत्मबोध के लिए अवश्य निकालें हमारे अन्दर शक्ति बुद्धि विचार कौशल संयम आए धर्म इतिहास का चिन्तन करें भय भ्रम दम्भ बेहूदे चिन्तन से दूर रहें योगाभ्यास उपासना करें रामात्मक जीवन अपनाएं पापात्मक चिन्तन कि हम कुछ कर ही नहीं सकते से दूर रहें
बलिदानी परम्परा में अद्वितीय,शौर्य प्रमंडित अध्यात्म जिसमें दर्शित और प्रदर्शित हुआ ऐसे अद्भुत अवतार,धर्म की रक्षा के लिए अपने समस्त परिवार का बलिदान कर देने वाले, जीवन-पर्यंत हिंदू धर्म की रक्षा के लिए संघर्षरत रहने वाले ( और हम भ्रमित होकर कहते रहे हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ), कलगीधर पातशाह कवि विचारक योद्धा रामरूप कृष्णरूप संत गुरु गोविन्द सिंह का आज जन्मदिन है
(जन्म :२२ दिसंबर १६६६)
(आज ही हम संकल्प करें कि हिन्दू और सिख अलग अलग नहीं मानेंगे )
जो मात्र नौ वर्ष की आयु में गुरु पद पर आसीन हो गए
आपको साक्षात् अवतार कहना उचित होगा
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम्।।4.7।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।4.8।।
उन्होंने 'जाप' साहिब, 'अकाल उस्तत', 'बिचित्र नाटक', 'चंडी चरित्र', 'शास्त्र नाम माला', 'अथ पख्यां चरित्र लिख्यते', 'ज़फ़रनामा' और 'खालसा महिमा' जैसी रचनाएं लिखीं l 'बिचित्र नाटक' को उनकी आत्मकथा माना जाता है
जिसमें वो लिखते हैं
हम इह काज जगत मो आए । धरम हेत गुरदेव पठाए ।...
आचार्य जी ने सूचित किया कि ग्रामों में उत्साह जाग्रत करने जनमन को प्रेरित प्रभावित करने की अपने भारतीय जीवन दर्शन की पुरानी परम्परा का निर्वाहन करते हुए भैया मुकेश जी की अगुवायी में राम रथ यात्रा आज सबसे पहले गांव मियागंज का भ्रमण करते हुए बाबा खेड़ा, आवागोझा ,अकबरपुर, सेमरा होते हुए हसनगंज पहुंचेगी वहां पूरे तहसील का भ्रमण करने के पश्चात महदी खेड़ा गजफ्फर नगर, चक्कुशहरी ,सूबेदार खेड़ा, हसेवा होते हुए अमोइया मुंशीगंज पहुंचेगी तत्पश्चात हमीरपुर से सरौहां तक आएगी और फिर वापस मियागंज जाएगी
आचार्य जी ने याद दिलाया कि भगवान् राम ने पिता दशरथ का सेना साथ ले जाने वाला आग्रह ठुकरा दिया था क्योंकि उन्हें अपने गुरु विश्वामित्र में पूर्ण विश्वास था हम भी अपने इष्ट पर पूर्ण विश्वास करें
सत्य की हो प्राणधारा शौर्य का हो आवरण,
तत्व की अनुभूति उद्भट शक्ति का वातावरण,
अस्त्र-शस्त्रों का सुखद शृंगार हो तन पर सजा,
तभी शिवसंकल्प मय हो जाएगा पर्यावरण।
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने शुद्धाद्वैत के सिद्धान्त के लिए क्या कहा DSN College Unnao की चर्चा क्यों हुई सरदारों पर चुटकुलों पर आचार्य जी की क्या प्रतिक्रिया हुई भैया प्रदीप की चर्चा क्यों हुई जानने के लिए