रामो विग्रहवान् धर्मस्साधुस्सत्यपराक्रमः । राजा सर्वस्य लोकस्य देवानां मघवानिव ॥
प्रस्तुत है क्षिप्रकारिन् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 23 जनवरी 2024 सुभाष चन्द्र बोस जयन्ती
का सदाचार संप्रेषण
*९०८ वां* सार -संक्षेप
1 अविलम्बी
एक विशेष उद्देश्य के लिए नित्य आचार्य जी हमें जाग्रत और प्रबुद्ध करने की चेष्टा करते हैं
स्वयं जाग्रत हों और अधिक से अधिक लोगों को जाग्रत करें
यद्यपि
ईस्वर अंस जीव अबिनासी। चेतन अमल सहज सुख रासी॥
फिर भी
सो मायाबस भयउ गोसाईं। बँध्यो कीर मरकट की नाईं॥
जड़ चेतनहि ग्रंथि परि गई। जदपि मृषा छूटत कठिनई॥2॥
सबसे पहले तो मन में यह भाव सदैव रखें कि जिस सनातन धर्म में मेरा जन्म हुआ है उसके प्रति कभी मेरे मन में वितृष्णा न रहे और न उससे विरक्ति रहे सनातन धर्म अद्भुत है इसमें विकल्प भी बहुत हैं
जैसे
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥
इस मंत्र के जाप से व्यक्ति आत्मा को उच्चतम सात्त्विकता की ओर उन्मुख कर देता है और उसे ईश्वर के निकट ले जाता है। यदि कोई मानसिक दुःख या अशुद्धि की अनुभूति कर रहा हो, तो इसके जाप से वह अपने आप को शुद्ध कर सकता है और अद्भुत ऊर्जा के साथ अपने जीवन को आगे बढ़ा सकता है।
ऐसे अद्भुत धर्म में जन्म लेने के बाद यदि हम उसे कुछ भी जान नहीं पाए तब तो यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है
यह दुर्भाग्य कैसे दूर हो इसका प्रयत्न ही श्रीराम जन्म भूमि मन्दिर का निर्माण है
पूरे देश में कल अत्यन्त उत्साह हर्षोल्लास का वातावरण रहा
यह मात्र मन्दिर न होकर सनातन संस्कृति के प्रसार का केन्द्र है
तुलसीदास जी ने भगवान् राम
अर्थात् वह जो शासन करता है" ( रा जते ) "पृथ्वी" (म-ही) के राज्य पर
*रा* जते *म* ही
को विष्णु का अवतार नहीं माना है उन्हें ब्रह्म का अवतार कहा है
इसी प्रकार
रामतापनीयोपनिषद् राम को आत्मा (आत्मा, स्वयं) और ब्रह्म (अंतिम वास्तविकता) के समकक्ष प्रस्तुत करता है
रामपूर्वतापनीयोपनिषद् पर आधारित ब्रह्मयोगी नामक संत की टीका में बताया गया है
ॐ और राम एक हैं
ॐ का रहस्य अत्यन्त अद्भुत है
अ से जामवन्त उ से सुग्रीव म से हनुमान अनुनासिक से शत्रुघ्न नाद से भरत कला से लक्ष्मण और कालातीत ध्वनि से माता सीता
श्रीरामचरित मानस
जिसमें
रघुपति नाम उदारा। अति पावन पुरान श्रुति सारा॥
मंगल भवन अमंगल हारी। उमा सहित जेहि जपत पुरारी॥1॥
श्रीरामचरित मानस अनेक ग्रंथों पर आधारित है
नाना पुराण निगमागम सम्मत यद्रामायणे निगदितं क्वचिदन्योऽपि: स्वान्तः सुखाय तुलसी रघुनाथ भाषा निबंधमति मंजुलमातनोति ॥ ·
इसके अतिरिक्त लोहिया के विषय में आचार्य जी ने क्या कहा थूकने से संबन्धित क्या प्रसंग है क्षेपक की चर्चा क्यों हुई
पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी की चर्चा क्यों हुई जानने के लिए सुनें