24.1.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का पौष शुक्ल पक्ष चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 24 जनवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण *९०९ वां* सार -संक्षेप

 


शक्ति शील सौंदर्य युत, अपनी जीवन बान ।
रोम रोम में रम रहे,राम लिए धनु बान ।।
०३-०१-२०२१
✍ओम शंकर

प्रस्तुत है भट ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष शुक्ल पक्ष चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 24 जनवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण
  *९०९ वां* सार -संक्षेप


२४-१-२४
९ -०- ९
 1 योद्धा


आचार्य जी नित्य हमें अपना बहुमूल्य समय देकर सदाचारमय विचार संप्रेषित कर रहे हैं ताकि हम सदाचार आत्मसात् कर सकें हमारे अन्दर राष्ट्र -निष्ठा, आर्ष परम्परा, सनातनत्व के भाव जाग्रत हो सकें वह विश्वास जाग्रत हो सके जिससे हम रामराज्य लाने में अपना सहयोग कर सकें
वह भाव जो कहता है

है देह विश्व आत्मा है भारत-माता
सृष्टि-प्रलय-पर्यन्त अमर यह नाता ॥

यह सत्य-धर्म धारिणी धरा अति पावन
सब जग को लगती मनोहरा मन-भावन
विधि नदियों की मुक्तामाला पहनाता ॥१॥
..


तब आया ज्योति-पुरुष केशव चेतन का सूर्य उगाता ॥५॥

और विश्वास कि जैसा रामराज्य में हुआ था

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥
सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥1॥


'रामराज्य' में दैहिक, दैविक, भौतिक नामक तीनों ताप किसी को नहीं व्यापते। सभी मनुष्य परस्पर प्रेम से रहते हैं और वेदों की नीति में तत्पर रहकर अपने धर्म का पालन करते हैं
पुनः राम- राज्य आ जाए
अर्थात् हम सनातनत्व का प्रसार करें
वह सनातनत्व पूरी वसुधा जिसमें मनुष्य हैं अन्य जीव हैं और भी बहुत कुछ है को अपना कुटुम्ब मानता है
ऐसी मातृभूमि में जन्मे ऐसी अद्भुत संस्कृति के उपासक हम बहुत अधिक भ्रमित हो गए थे

हम भ्रमित हुए अस्ताचल वाले देशों को जब देखा
अरुणाचल की छवि बनी नयन मे धुँधली कंचन रेखा

उस भ्रम को हमें दूर करना है
आचार्य जी हमारे अन्दर वह परंपारा संप्रेषित करना चाहते हैं जो कहती है
भारत मां तेरी जय हो विजय हो
वह परम्परा हमें अपनी अकर्मण्यता दूर करने के लिए बोलती है

सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्।

सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः।।18.48।।


 बिना फल की इच्छा वाले कर्म का भाव जगाती है उस भाव के जाग्रत होने से हम संगठित होंगे यही भाव तप त्याग समर्पण के विग्रह चिन्तक विचारक ज्ञानी श्रद्धेय अप्रतिम प्रतिभा के धनी व्रतधारी नेता जी सुभाष चन्द्र बोस में थे जिनका कल जन्मदिन था
अच्छे परिवार में उनका जन्म हुआ था और बहुत प्रतिभाशाली थे
एक विदेशी महिला की यह बात
आप जैसे लोग भारत में हैं तो भी भारत गुलाम है
उन्हें छू गई
अपने जीवन में उन्होंने बहुत कष्ट उठाए
भाव से निकली भाषा थी
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा

खून त्याग तपस्या आत्मीयता है
उन्होंने आजाद हिन्द सरकार बना दी

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने श्री गयाप्रसाद जी की चर्चा क्यों की किसने चालीस दिन का व्रत रखा था गांधी जी को क्यों उपेक्षित करना था
कांग्रेस का जन्म कैसे हुआ आदि जानने के लिए सुनें