असुर मारि थापहिं सुरन्ह राखहिं निज श्रुति सेतु।
जग बिस्तारहिं बिसद जस राम जन्म कर हेतु।।121।।प्रस्तुत है पंक्तिपावन ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् २०८० तदनुसार 9 जनवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण
*८९४ वां* सार -संक्षेप
1 सम्मानित व्यक्ति
परामर्श : हम युगभारती सदस्यों द्वारा २२ जनवरी के आयोजन को गांव गांव पहुंचाया जाए
हमें अवतारत्व की अनुभूति कराना क्योंकि हम परमात्मा के ही अंश हैं,हम अमरत्व की उपासना के साथ साथ संसार की समस्याओं का समाधान तलाशें हमें यह ज्ञान प्रदान करना,मनुष्यत्व की अनुभूति कराना, हमारे भीतर सुप्त पड़ी विलक्षण शक्तियों से हमारा परिचय कराना, सम्पूर्ण विश्व के लिए हितकारी भारतीय साहित्य से परिचय कराना ,दुरूह तात्विक विषय को सरल करना, अध्यात्म शौर्य से सुसज्जित होने की अनिवार्यता को बतलाना, हमें आत्महीनता से दूर कराना और स्वावलम्बी बनाना,चिन्तन मनन अध्ययन स्वाध्याय लेखन निदिध्यासन, समाज -सेवा, देश -सेवा में हमें रत कराना, अविद्या की अति से भ्रमित हमारी व्याकुलता को समाप्त करने के उपाय बताना, शक्ति भक्ति विश्वास उत्पन्न कराना आचार्य जी का उद्देश्य रहता है
आइये विनाशाय च दुष्कृताम् और अन्य उद्देश्यों की पूर्ति हेतु आज की वेला में प्रवेश करें
हमारे देश पर जब जब संकट आते हैं तो उनके समाधान भी उपस्थित हो जाते हैं
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम्।।4.7।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।4.8।।
इस समय देश के ऊपर
समस्याएं हैं तो उनके समाधान भी दिख रहे हैं
लेकिन समाधान एक व्यक्ति से नहीं होगा हमें मिलजुलकर संगठित होकर समस्याओं का निवारण करना होगा
शौर्य विहीन अध्यात्म का हश्र हम देख चुके हैं हम संघर्ष में टूटे लेकिन फिर संयुत हुए
बेद राखे बिदित पुरान परसिद्ध राखे राम-नाम राख्यो अति रसना सुघर में।
हिंदुन की चोटी रोटी राखि है सिपाहिन की काँधे में जनेऊ राख्यो मालाराखी गरमें।
मीड़ि राखे मुग़ल मरोड़ि राखे पातसाह बैरी पीसि राखे बरदान राख्यो कर में।
राजन की हद्द राखी तेगबल सिवराज देव राखे देवल स्वधर्म राख्यो घर में॥
युगान्तरकारी कवि भूषण कहते हैं कि महाराज शिवाजी ने अपार शक्ति द्वारा हिंदू धर्म की रक्षा की। औरंगज़ेब को हराकर वेद आदि हिंदू धर्मग्रंथों को नष्ट होने से बचाने के साथ उनमें निहित ज्ञान का प्रसार किया। इसके अतिरिक्त पुराणों की भी उन्होंने सुरक्षा की और राम-नाम का महत्त्व रखा। उस समय दुष्टों द्वारा हिंदुओं के धार्मिक चिह्न नष्ट किए जा रहे थे। उन्होंने हिंदुओं की चोटी कटने से बचाई और उन्हें आजीविका दी । उन्होंने हिंदुओं द्वारा जनेऊ धारण और कंठ में माला धारण की रक्षा की। उन्होंने दिल्ली के बादशाह को मरोड़कर रख दिया और सारे शत्रुओं को पीस डाला। शरणागत की रक्षा की। हिंदू राजाओं के राज्य की सीमाओं की रक्षा की और मंदिरों की रक्षा की। इसके साथ ही वीर शिवाजी ने घर-घर में हिंदू धर्म को बनाए रखा।
हम मरते नहीं हैं हम अमर हैं
वयम् अमृतस्य पुत्राः
बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन।
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप।।4.5।।
भगवान् कहते हैं - हे अर्जुन ! मेरे और तुम्हारे बहुत से जन्म हो चुके हैं उन सबको मैं जानता हूँ लेकिन तुम नहीं जानते
तुम जीव हो मैं ब्रह्म हूं
अद्वैतम् अच्युतम् अनादिम् अनन्त - रूपम्
आद्यं पुराण - पुरुषं नव - यौवनं च वेदेषु दुर्लभं दुर्लभम् आत्मा - भक्तौ गोविंदम् आदि - पुरुषं तम अहं भजामि [ बी.एस. 5.33]
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया गोपाल जी भैया पवन जी भैया पङ्कज जी भैया मुकेश जी के वीडियो और रथ की चर्चा क्यों की facebook का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें