16.2.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 16 फरवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण *९३२ वां* सार -संक्षेप

 दोनों ओर प्रेम पलता है।

सखि, पतंग भी जलता है हा! दीपक भी जलता है!

सीस हिलाकर दीपक कहता--
’बन्धु वृथा ही तू क्यों दहता?’
पर पतंग पड़ कर ही रहता

        कितनी विह्वलता है!
        दोनों ओर प्रेम पलता है।



प्रस्तुत है स्थितिज्ञ ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 16 फरवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण
  *९३२ वां* सार -संक्षेप
1 नैतिकता की सीमा को जानने वाला

नित्य प्रेरणा देकर जो कर्म की साधना में रत कर्मयोगी धर्मवेत्ता सतत बढ़ने के अभ्यासी क्षुद्र स्वार्थों से दूर राष्ट्र की साधना में रत राष्ट्र मन्दिर के पुजारी प्रदर्शन से सदैव दूर आचार्य जी,
जिनके उर में भावना का संगीत लगातार चलता रहता है, चिन्तन हिलोरें मारता रहता है, हमसे अपेक्षा करते हैं तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उसे पूर्ण करें
 हम परमार्थ रूपी स्वार्थ में रत राष्ट्र -भक्त संगठित होकर इतने समर्थ शक्तिसम्पन्न विश्वविजय की भावना से भरे हुए बनें कि हम जहां हैं वहीं समस्याओं का समाधान कर सकें
भजन यजन साथ साथ करते चलें लक्ष्य का अच्युत अभय संधान करें
आत्मदर्शन करें ऐसा आवेश लाएं कि बहुत कुछ करने में हम सक्षम हैं
इस समय के आनन्दमयी राममय वातावरण में क्रूर कर्म करने वाले विकारों से ग्रस्त मार्गकण्टक कालनेमियों की उपस्थिति समय की गम्भीरता को दर्शा रही है
ये कालनेमि देश को अस्तव्यस्त करने के लिए आंदोलन करते हैं ऐसे में अनन्त संघर्षों को झेलने के बाद भी मुस्कराने वाले भारत की मनीषा को बलवान् होना होगा ये मनीषा हम सब के पास है हमारी मानसिकता विश्लेषणात्मक संश्लेषणात्मक संकल्पात्मक होनी चाहिए शौर्यप्रमंडित अध्यात्म अनिवार्य हो गया है इस क्रूर कंटक कालनेमियों का दलन आवश्यक है विराग विरक्ति किसी अर्थ की नहीं है यह अश्रुपात करने का समय नहीं है

पंथ दुर्गम है कठिन भी जानता हूं
विघ्न बाधाएं बहुत हैं मानता हूं
लक्ष्य का उन्नत शिखर अतिदूर दुस्तर
फिसलने वाले चमकते पंथ प्रस्तर
 सतत बढ़ने का अथक अभ्यास
कुंठित हार का हामी नहीं हूं
राष्ट्रमंदिर का पुजारी मुक्ति का कामी नहीं हूं

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने प्रधानमन्त्री जी का नाम क्यों लिया भैया अमित अग्रवाल जी का नाम किस संदर्भ में आया दीनदयाल जी का लौकी की सब्जी वाला क्या प्रसंग है जानने के लिए सुनें