प्रस्तुत है कार्मुक ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ शुक्ल पक्ष दशमी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 19 फरवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण
*९३५ वां* सार -संक्षेप1 भलीभांति और पूर्णतः काम करने वाला
आचार्य जी ने कल हमें किसी भी अस्वस्थ प्रियजन के मानस को शक्ति प्रदान करने की प्रेरणा दी थी
मनुष्य होने के बाद भी यह आवश्यक नहीं कि उसे मनुष्यत्व की अनुभूति हो ही
मनुष्यत्व के अनगिनत गुण हैं जैसे संवेदना,संयम,शील, विश्वास, कर्म -प्रेरणा,उत्साह, वीरता, त्याग, तप, शिष्टता, धैर्य, युक्ति, भाव -संपन्नता
जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं..
(स्वदेश:
गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही')
हमारा यही मनुष्यत्व जाग्रत करने का नित्य का आचार्य जी का यह प्रयास अद्भुत है
आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि छोटापन और बड़ापन क्या है
हमारे अन्दर यदि आत्मविश्वास भरपूर है तो हम बड़े हैं आत्मविश्वास ही परमात्मविश्वास है
चिदानन्द रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम्
आचार्य जी ने भैया नीरज जी के I I T के एक मित्र श्री धीरेन्द्र त्रिपाठी जी, जो भारतीय काव्यशास्त्र के सरलीकरण के इच्छुक हैं, की चर्चा की और बताया कि
कविता उनके लिए सरल होती है जिनको भावनाओं का धन प्राप्त है भावनाओं को जब भाषा मिल जाती है तो वह कविता का रूप ले लेती है सारा संसार काव्यमय है कविता का विस्तार मनुष्य का जीवन है आदि स्वर ॐ कविता का मूल है
काव्यं यशसे अर्थकृते व्यवहारविदे शिवेतरक्षतये। सद्यः परनिर्वृतये कान्तासम्मिततयोपदेशयुजे॥
आचार्य जी की निम्नलिखित कविता हम सबको प्रेरणा देगी
कविता मन का विश्वास भाव की भाषा है
हारे मानस की आस प्राण परिभाषा है
वरदान भारती का है ये शिव का संयम
शुभ सुखद सहज करती जीवन का पथ दुर्गम
कविता की बान अनोखी है अलबेली है
पीड़ाओं की सहचरी अभाव सहेली है
यह ज्योति अमावस की प्रभात का सूरज है
संगम का जल वृन्दावन की पावन रज है
कवि कर्म धर्म की बान जिसे भा जाती है
सपनों की दुनिया नयनों में छा जाती है
कवि की वाणी में सत्य शक्ति प्रेरणा भरी
संकट के तूफानों से यह जूझती तरी
कविता कल्याणी कीर्ति कर्म की धारा है
जूझती तरी के लिए सुरम्य किनारा है
आनन्द विधायी सत्य तत्त्व की राह सरल
अधरों पर अमृत है अन्तर में पचा गरल
कविता का सत्य हृदय में भर देता उछाह
शीतल कर देता अन्तस्तल का विषम दाह
भटके राही को राह दिखाती कविता है
कविता रजनी में चांद दिवस में सविता है