22.2.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 22 फरवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण *९३८ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है तेजोमय ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ शुक्ल पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 22 फरवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण

*९३८ वां* सार -संक्षेप
1 यशस्वी

भारतीय परम्परा में 'दर्शन' का व्युत्पत्तिलभ्य अर्थ है दृश्यते हि अनेन इति दर्शनम्'
जिसके द्वारा देखा जाए वह दर्शन है असत् एवं सत् पदार्थों का ज्ञान ही दर्शन है दर्शनशास्त्र परम सत्य, सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है हम मात्र बौद्धिक आधार पर नहीं देखते जब कि philosophy में बुद्धि के आधार पर देखा जाता है
अंग्रेजी में जीवनदर्शन का नाम है Philosophy
The word philosophy comes from the Ancient Greek words φίλος (philos) 'love' and σοφία (sophia) 'wisdom'.
बुद्धि के हिसाब से प्रेम अर्थात् लगाव ही philosophy है बुद्धि से परे सत्य का कोई मार्ग नहीं है
हम बुद्धि से मन में प्रवेश करते हैं बुद्धि की सीमा है मन असीम है
श्वेताश्वतरोपनिषद् में
हमारा दर्शन देखिए

ॐ ब्रह्मवादिनो वदन्ति॥
किं कारणं ब्रह्म कुतः स्म जाता जीवाम केन क्व च संप्रतिष्ठाः।
अधिष्ठिताः केन सुखेतरेषु वर्तामहे ब्रह्मविदो व्यवस्थाम्‌॥

ब्रह्म पर चर्चा करते हुए ऋषिगण पूछते हैं
क्या ब्रह्म कारण है (जगत् का) ? हम कहाँ से पैदा हुए , किसके द्वारा जीवित रहते हैं और अन्त में किस में विलीन हो जाते हैं?
किस अधिष्ठाता के मार्गदर्शन में हम सुख-दुःख वाले विधान का पालन करते हैं ?
तो
कालः स्वभावो नियतिर्यदृच्छा भूतानि योनिः पुरुष इति चिन्त्या।
संयोग एषां न त्वात्मभावादात्माप्यनीशः सुखदुःखहेतोः॥

काल, प्रकृति, नियति, यदृच्छा, जड़-पदार्थ, प्राणी इनमें से कोई भी कारण नहीं हो सकता क्योंकि इनका भी अपना जन्म होता है अपनी पहचान है अपना अस्तित्व है। जीवात्मा भी कारण नहीं , क्योंकि वह भी सुख या दुःख से मुक्त नहीं है।

भारतीय जीवन सिद्धान्त कहता है

कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेत् शतं समाः।
एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे ॥

आचार्य जी का उद्देश्य रहता है कि हम अपने आत्मबोध में प्रवेश करके कर्म की प्रेरणा प्राप्त करें आत्म जागरण आवश्यक है
भारतीय जीवनदर्शन के तत्त्व को जानकर उसे व्यवहार में प्रतिष्ठापित करें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने दीनदयाल शोध संस्थान के अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष श्री वसन्त पण्डित जी, भैया प्रदीप वाजपेयी जी, भैया शुभेन्द्र जी की चर्चा क्यों की
शिक्षा,जो संपूर्ण संस्कृति के विकास का आधार है और समस्याएं हल करती है, पर आचार्य जी के भाषण के लिए किसने कहा जानने के लिए सुनें