कथा प्रवचन गरीबी को करम का भोग कहता है
समाजी क्रान्ति का चिन्तन इसी को रोग कहता हैमगर इसकी कसक केवल गरीबों का जिगर जाने
कि जो हर दौर में चुप झेलता संसार के ताने
गरीबी से यहां का हर बशर बचता भड़कता है
उसे बस सोचकर ही बेतरह सीना धड़कता है
मगर संसार में यदि यह गरीबी ही नहीं होती
सभी मजबूरियां बचती कहां रहती कहां सोती
प्रस्तुत है भविन ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ शुक्ल पक्ष चतुर्दशी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 23 फरवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण
*९३९ वां* सार -संक्षेप
1 कवि
इन सदाचार संप्रेषणों को मनोयोग पूर्वक सुनना लाभकारी है इनमें हमें अपनी जिज्ञासाओं के उत्तर आसानी से मिल जाते हैं
परमात्मा के रचे संसार का पूरा जीवन कथामय है यहां दुःख है तो सुख भी है रात है तो दिन भी है
हम केवल अपने शरीर में ही न उलझें क्योंकि शरीर तो मात्र साधन है यदि हम अपने इस साधन में ही अपनी सारी भावनाओं को समर्पित कर देंगे तो हमें आनन्द की अनुभूति नहीं होगी
इस संसार में यदि हम बाह्य दृष्टि ही रखेंगे तो सदैव कष्ट में ही रहेंगे
यहीं पर अध्यात्म महत्त्वपूर्ण हो जाता है
हमारी बुद्धि प्रज्ञा -समन्वित प्रमा से आवृत विवेकशील ऋतम्भरोन्मुख रहे इसके लिए अपना खानपान संगति सही रखें ईश्वर के प्रति अपने को समर्पित रखें
इस संसार की समस्याओं के बीच में आत्मानन्द की अनुभूति ही तत्त्व है हमारा लक्ष्य है मोक्ष अर्थात् कोई समस्या नहीं
हमारे ग्रंथों में इसका विस्तार से वर्णन है हमारे उपनिषद् पुराण अद्भुत हैं अपनी परम्परा की जानकारी के लिए उपनिषद् अद्वितीय हैं इस समय संस्कारविहीन शिक्षा पर जोर है व्यवसायी शिक्षा चल रही है जब कि शिक्षा कैसी होनी चाहिए
शिक्षा पर यह छंद देखिए
ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः । शं नो भवत्वर्यमा । शं नो इन्द्रो बृहस्पतिः । शं नो विष्णुरुरुक्रमः । नमो ब्रह्मणे । नमस्ते वायो । त्वमेव प्रत्यक्षं बह्मासि । त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वदिष्यामि । ऋतं वदिष्यामि । सत्यं वदिष्यामि । तन्मामवतु । तद्वक्तारमवतु । अवतु माम् । अवतु वक्तारम् ।"
आचार्य जी ने एक और कविता सुनाई
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने सूत्रात्मा का क्या अर्थ बताया भैया शरद कश्यप जी का उल्लेख क्यों हुआ अधिवेशन पर क्या कहा जानने के लिए सुनें