27.2.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का फाल्गुन कृष्ण पक्ष तृतीया विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 27 फरवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण *९४३ वां* सार -संक्षेप

 


प्रस्तुत है निरुपधि ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज फाल्गुन कृष्ण पक्ष तृतीया विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 27 फरवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण
  *९४३ वां* सार -संक्षेप
1 निष्कपट

भय और भ्रम मनुष्य के विकास में बाधक हैं जो वह अपने लक्ष्य बनाता है उसकी प्राप्ति में भी ये बाधक हैं हितोपदेशक रक्षक आचार्य जी नित्य हमें प्रेरित करते हैं कि हम संसार के वात्याचक्रों में उलझकर भयभीत और भ्रमित न रहें संसार की गति मति यति को समझने में सक्षम लेकिन अनेक कारणों से सुप्त हमारा व्यक्तित्व जाग जाए हम संसार से संघर्ष रूपी युद्ध जिसमें विजय प्राप्ति की कामना हो में रत हों आत्मबोधोत्सव की साधना करें भालू नाच बन्दर नाच देखने वाले अबोध न रहें सच और झूठ को समझने वाले प्रबुद्ध बनें दिन भर की क्षरित ऊर्जा को हम प्राप्त कर सकें हमें सशक्त और समृद्ध बनाने का उनका यह प्रयास बेमिसाल है
परमात्मा की बनाई यह अद्भुत सृष्टि ऐसे प्रबन्ध करती है कि शक्ति उन अवरोधों को काटती हटाती चलती है
शौर्य संसार में व्यक्त होने की एक ऊर्जा है और अध्यात्म संसार के मूल में पहुंचने का एक संकल्प है शौर्य के बिना अध्यात्म अधूरा है
आचार्य जी ने प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की द्वारका यात्रा की चर्चा की

प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'पानी में डूबी द्वारिका नगरी में प्रार्थना करना अत्यन्त दिव्य अनुभव था
 मुझे आध्यात्मिक वैभव और शाश्वत भक्ति के एक प्राचीन युग से जुड़ाव महसूस हुआ भगवान श्री कृष्ण हम सभी को आशीर्वाद दें'
ऐसी श्रद्धा अद्भुत है

भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ। याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तःस्थमीश्वरम्‌॥
श्रद्धा और विश्वास के बिना सिद्धजन अपने अन्तःकरण में स्थित ईश्वर को नहीं देख सकते

तपस्विभ्योऽधिको योगी ज्ञानिभ्योऽपि मतोऽधिकः।

कर्मिभ्यश्चाधिको योगी तस्माद्योगी भवार्जुन।।6.46।।
भगवान् कृष्ण कहते हैं
तपस्वियों से ज्ञानियों से और कर्म करने वालों से भी योगी श्रेष्ठ है -- ऐसा मेरा मत है। अतः हे अर्जुन ! तू योगी हो जा।
अपने प्रधानमन्त्री ऐसे ही योगी हैं जब योग अनुभव होने लगता है तो आत्मा और परमात्मा का योग होने लगता है शक्ति बुद्धि विचार संयम अध्ययन स्वाध्याय एकाकार हो जाते हैं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने क्या कहा जानने के लिए सुनें