उठो जागो, जगाओ जो पड़े सोये भ्रमों भय में,
जिन्हें विश्वास किंचित भी नहीं है नीति में नय में,स्वयं के आत्मप्रेमी सलिल के छींटे नयन पर दो
कहो ' हे ! भरतवंशी कर्म अपना है जगज्जय में ' ।
प्रस्तुत है क्रव्याद् -रिपु ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज माघ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 8 फरवरी 2024 का सदाचार संप्रेषण
*९२४ वां* सार -संक्षेप
1=राक्षसों का शत्रु
कलियुग तो ऐसा है कि
मातु पिता बालकन्हि बोलावहिं। उदर भरै सोइ धर्म सिखावहिं॥4॥
माता-पिता बालकों को बुलाकर उसी धर्म की शिक्षा देते हैं जिससे पेट भर सके
लेकिन हमें इस कलियुग में भी मनुष्यत्व की अनुभूति होनी चाहिए
हम शक्ति बुद्धि विवेक विचार संयम स्वाध्याय सम्पन्न हैं तो हमें जाग्रत होने की आवश्यकता है हमें अपनी latent heat को जानना चाहिए
रामकथा सुंदर कर तारी। संसय बिहग उड़ावनिहारी॥
रामकथा कलि बिटप कुठारी। सादर सुनु गिरिराजकुमारी॥
और मनुष्यत्व केवल पेट भरना और सोना नहीं है
हमें अपना भ्रम भय त्याग जग जाना है
रामकथा कलि कामद गाई। सुजन सजीवनि मूरि सुहाई॥
सोइ बसुधातल सुधा तरंगिनि। भय भंजनि भ्रम भेक भुअंगिनि॥
और आत्मानुभूति करनी है कि हमारा कर्तव्य क्या है
हमारा तो आधार ही अद्भुत है तो हमें अपने कर्तव्य का भान होना ही चाहिए
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
रामकथा कलि कलुष बिभंजनि।। रामकथा कलि पंनग भरनी।
भारत के मनीषियों से जिस कर्म, ज्ञान और भक्ति की त्रिवेणी का प्रवाह उद्भूत हुआ उसने मानवता के विकास में अद्भुत योगदान दिया है। हम राष्ट्र -भक्तों को बताया कि हमारा कर्म जगज्जय में है
हमारा कर्म है जगत को जीतना अर्थात् भय भ्रम को समाप्त करना
भगवान् राम हमारे आदर्श हैं और यह आदर्श सिर चढ़कर बोल रहा है पूरा देश राममय है
राम का प्रभाव आश्चर्यजनक है जिनकी साधना सिद्धि के लिए कभी व्याकुल नहीं हुई
इन सदाचार संप्रेषणों की उपयोगिता को और अधिक सिद्ध करने के लिए हम स्वयं भी इस तरह से अपने सदाचारमय विचार संप्रेषित करने लगें
ज्ञान संयम स्वाध्याय सदाचार स्वावलंबन स्वास्थ्य सुरक्षा शक्ति सिखाने वाली शिक्षा से शिक्षित व्यक्ति को किसी भी आश्रय की आवश्यकता नहीं है वह स्वयं अपनी रक्षा करने में सक्षम है और अपनों की रक्षा करने में भी उतना ही सक्षम है व्यक्ति से व्यक्तित्व की राह पर चलने में समर्थ है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी जी भैया डा मलय जी का नाम क्यों लिया श्री अरिन्दम जी का नाम क्यों लिया किन श्री आशा शंकर जी की चर्चा की सलिल के छींटें क्या हैं जानने के लिए सुनें