*९२५ वां* सार -संक्षेप
1=धर्मशून्य का शत्रु
धर्मशून्य व्यक्तियों, संपोलों द्वारा संचालित हमारे देश में स्थान स्थान पर पनप रहे राष्ट्रद्रोह को कुचलने के लिए हम राष्ट्रभक्तों की एक भूमिका है इसी भूमिका को निभाने के लिए हमें प्रेरित करने हमें प्रज्वलित करने के उद्देश्य से अपनी अग्नि की चिंगारी को ईंधन में खपाने वाले संपूर्ण समाज के मार्गदर्शक विचारक साहित्यावतार आचार्य जी नित्य अपना बहुमूल्य समय इन सदाचार वेलाओं के लिए दे रहे हैं हमें इनका महत्त्व समझना चाहिए हमें आचार्य जी की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए सदाचार का यह मंगल उपदेश कल्याणकारी लाभकारी प्रभावशाली विधान बौद्धिक हमारे अन्दर की सुप्त शक्तियों संयम सामर्थ्य शक्ति शील पराक्रम भाव विचार क्रिया को जगाने के उद्देश्य से है हमारे अन्दर देशभक्ति का भाव, आत्मबोध जगाने के लक्ष्य के कारण है
देशभक्ति का भाव इसलिए आवश्यक है कि कभी हमारी नजरों से देश ओझल हो गया था वह देश जिसका अध्यात्म विशेषताओं से भरा हुआ है हम विचारक चिन्तक पूजक अर्चक भावुक तो रहे लेकिन शौर्य को विस्मृत कर गए थे जिसके कारण लुटेरे हावी होते चले गए
तीर्थस्थानों में चित्रकूट का विशिष्ट स्थान है जहां भक्ति कण कण में व्याप्त है भाव की सरिता बहती है क्योंकि वहां राम रहे हैं
रामकथा मंदाकिनी चित्रकूट चित चारु।
तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहारु॥ 31॥
रघुनाथगाथा के गाने और सुनने से ही पूरे समाज के पथप्रदर्शक बने भक्तशिरोमणि सहित्यावतार गोस्वामी तुलसीदास कहते हैं कि रामकथा मंदाकिनी नदी है, सुंदर चित्त चित्रकूट है, और सुंदर स्नेह ही वह वन है जिसमें सीता और राम विहार करते हैं
रामचरित चिंतामनि चारू। संत सुमति तिय सुभग सिंगारू॥
जग मंगल गुनग्राम राम के। दानि मुकुति धन धरम धाम के॥
राम का चरित्र सुंदर चिंतामणि है और संतों की सुबुद्धिरूपी स्त्री का सुंदर सिंगार है। राम के गुण संसार का कल्याण करने वाले और मुक्ति, धन, धर्म, परमधाम को देने वाले हैं
मंत्र महामनि बिषय ब्याल के। मेटत कठिन कुअंक भाल के॥
हरन मोह तम दिनकर कर से। सेवक सालि पाल जलधर से॥
विषयरूपी साँप का विष उतारने के लिए मंत्र और महामणि हैं। ये ललाट पर लिखे हुए कठिनाई से मिटने वाले बुरे भाग्य को मिटा देने वाले हैं अज्ञानरूपी अंधकार को हरण करने के लिए सूर्य किरणों के समान और सेवक रूपी धान के पालन करने में बादलों के समान हैं
आचार्य जी ने सन् १९९२ में चित्रकूट में लगे उस तरुण चेतना शिविर की चर्चा की जिसने
भैया सुनील गुप्त जी भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी जी भैया प्रदीप वाजपेयी जी
आदि पर विशेष प्रभाव छोड़ा
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने मोदक बाबा, शिवा जी, मुकेश भैया, श्री गुरु जी, मुंशीगंज की चर्चा क्यों की विकास का क्या अर्थ है ऋषियों में ऋषित्व कैसे आया गीता के तीसरे अध्याय की चर्चा क्यों हुई जानने के सुनें