2.3.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का फाल्गुन कृष्ण पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 2 मार्च 2024 का सदाचार संप्रेषण *९४७ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है चक्षुष्मत् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज फाल्गुन कृष्ण पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 2 मार्च 2024 का सदाचार संप्रेषण

  *९४७ वां* सार -संक्षेप
1 अच्छी दृष्टि रखने वाला

अच्छी दृष्टि रखने वाले हम राष्ट्र-भक्तों को भावनात्मक स्तर में प्रविष्ट होकर अच्छे विचारों से अपने कर्म धर्म भाव भाषा विचार व्यवहार को भारत माता को समर्पित करने वाले आचार्य जी नित्य उत्साहित करते हैं ताकि हम मनुष्यत्व की अनुभूति करते रहें,हम यह समझ सकें कि हमें मनुष्य का यह जो शरीर मिला है उसके माध्यम से हम बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं,हमारी भ्रान्तियां दूर होती रहें , सदाचार संप्रेषणों से प्राप्त तत्वों को व्यवहार में उतार लें ,पान्थिक दृष्टि से विविधता भरे इस देश में धार्मिक दृष्टि से एक बने हम अमर संस्कृति के उपासक मार्गान्तरित न हों क्योंकि मन बहुत चञ्चल होता है
चञ्चल मन को नियन्त्रित करना अत्यन्त दुष्कर है जैसा अर्जुन यह जानते हुए कहते हैं
चञ्चलं हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद्दृढम्।

तस्याहं निग्रहं मन्ये वायोरिव सुदुष्करम्।।6.34।।

तो भगवान् समझाते हुए कहते हैं

असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलं।

अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते।।6.35।।
कि उसे अभ्यास और वैराग्य के द्वारा वश में किया जा सकता है।।
ऐसा अभ्यास स्वामी रामकृष्ण परमहंस को था यदि उनके शरीर से किसी मुद्रा का स्पर्श हो जाए तो शरीर ऐंठने लगता था पूज्य गुरु जी भी भारत मां की सेवा में अखंड लगे रहे राष्ट्र -यज्ञ का अग्निहोत्र करने का उनका अभ्यास अद्भुत था
 पूज्य गुरु जी से संबधित एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए आचार्य जी ने बताया कि गुरु जी को कैसे स्वामी रामकृष्ण परमहंस का कमण्डल मिला
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने और क्या बताया भैया मनीष कृष्णा जी , भैया मलय जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें