प्रस्तुत है अभ्रंलिह ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज फाल्गुन कृष्ण पक्ष अष्टमी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 3 मार्च 2024 का सदाचार संप्रेषण
*९४८ वां* सार -संक्षेप1 बादलों को चूमने वाला
भावनाएं पवित्र हों तो अभ्रंलिह लक्ष्य भी कुछ नहीं हैं पवित्र भावनाओं से नाम रूप काम धाम एक रस हो जाते हैं
बस वही है पथिक जो पथ पर निरंतर अग्रसर हो,
हो सदा गतिशील जिसका लक्ष्य प्रतिक्षण निकटतर हो,
हार बैठे जो डगर में पथिक उसका नाम कैसा
लक्ष्य तक पहुँचे बिना, पथ में पथिक विश्राम कैसा
आचार्य जी का उद्देश्य रहता है कि हम कहीं भटकें नहीं भय भ्रम से दूर रहें हम ऐसी शक्ति प्राप्त करें जो समय पर काम दे सद्विचारों को व्यवहार में उतार लें
इस तरह के सदाचारमय विचारों को इनके विस्तार की भावना के साथ ग्रहण करने का उद्देश्य लेकर आइये प्रवेश करें आज की वेला में
भारतीय संस्कृति अत्यन्त अद्भुत और गहन है यह ऐसी संस्कृति है जिसमें सब कुछ समा लेने की क्षमता है हमें इसकी अनुभूति होनी चाहिए
अन्य संस्कृतियों से यह कैसे भिन्न है इसके लिए आचार्य जी ने ट्रेन से संबन्धित एक प्रसंग बताया
पैर के नाखून से लेकर सिर की चोटी तक जितने भी रोग हैं उन सब मर्जों की एक दवा *बिजली*
जिसे कुछ लोग खरीद भी लेते थे
लेकिन विचारणीय है कि हमें यदि आंख की समस्या हो नाक कान गले की समस्या हो पेट की समस्या हो तो क्या यह बिजली कारगर रहेगी?
भारतीय संस्कृति में सब कुछ है जन्म से लेकर अवसान तक बहुत कुछ है
प्रकृति के यौवन का शृंगार
करेंगे कभी न बासी फूल;
मिलेंगे वे जाकर अति शीघ्र
आह उत्सुक है उनकी धूल।
डा हेडगेवार कहते थे भारत मां के चरणों में मुरझाया फूल नहीं चढ़ाया जाता सुगन्धित पूर्णरूपेण विकसित पुष्प ही समर्पित किया जाता है
हम भी यदि जन्म जन्मान्तर भारत माता की सेवा के पुष्प हैं तो हमें भी सुगन्धित पूर्ण विकसित बनना होगा अर्थात् हमें अपना जीवन
बहुत पवित्र आनन्दमय बनाकर सेवा में लगना होगा
इस समय हम कर्मशील योद्धा लखनऊ में होने वाले अधिवेशन की तैयारी कर रहे हैं जिसका अनुमानित व्यय है लगभग दस लाख रुपये
ये अधिवेशन आदि उपासना अर्चना के विधि विधान हैं भारत माता की सेवा के अनुष्ठान हैं
इनमें हमारा पवित्र समर्पण हो संकल्पशीलता संकल्पबद्धता हो
इसके अतिरिक्त कर्ममय जीवन जीने वाले आचार्य जी ने भैया विवेक भागवत जी, भैया आशु शुक्ल जी का नाम क्यों लिया भैया पंकज श्रीवास्तव जी ने क्या परामर्श दिया आचार्य जी कौन सी निधि सौंपना चाहते हैं जानने के लिए सुनें