21.3.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 21 मार्च 2024 का सदाचार संप्रेषण *९६६ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है पार्श्वासन्न ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 21 मार्च 2024 का सदाचार संप्रेषण

*९६६ वां* सार -संक्षेप
1 पास ही विद्यमान

सद्गुण हमारे पास विद्यमान हों और दोष भय भ्रम हमसे दूर रहें इसके लिए आचार्य जी नित्य प्रयास करते हैं हमें इसका महत्त्व समझना चाहिए
सांसारिक समस्याओं में आसान समाधान सुझाने वाले,हमारे शौर्य पराक्रम विभूति कान्ति को उत्थित करने वाले,हमें चिन्तन मनन निदिध्यासन अध्ययन स्वाध्याय लेखन की ओर उन्मुख करने वाले,राष्ट्र के प्रति निष्ठावान् बने रहने की चिति उत्पन्न करने वाले ये हमारे लिए अत्यन्त रुचिकर मनोकूल सदाचारमय विचार अद्भुत हैं
संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि बारि बिकार॥6॥

भारत की भूमि सत्यानुभूति की पावन भूमि है असीमित अभिव्यक्तियों वाले परमसत्य के अन्वेषण का सनातन तीर्थ है
एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति
सत्य की खोज करने वाले ऋषियों मुनियों मुमुक्षुओं की संख्या अनगिनत है
हमारा अध्ययन स्वाध्याय गहरा नहीं है शिक्षा को विकृत किया गया इसलिए हम भ्रमित रहते हैं हमें अच्छा ग्रहण करना चाहिए और खराब को दूर करना चाहिए जैसे

यद्यपि संविधान में लिखा है कि भारत टुकड़ा टुकड़ा होकर
संयुत हुआ है लेकिन यह सत्य नहीं है हिन्दू ही हिन्दुत्व को नहीं बनाए रखेंगे तो इसे कौन बचायेगा

आयरिश महिला एनी बेसेंट ( जन्म: १ अक्टूबर १८४७ लंदन; मृत्य: २० सितंबर १९३३) भारत की मिट्टी से गहरा लगाव रखने वाली प्रख्यात समाजसेविका , लेखिका और स्वतंत्रता सेनानी थीं। हिन्दू धर्म एवं दर्शन में उनकी गहरी आस्था थी। वह कहती थीं कि हिन्दू धर्म में इतने सम्प्रदायों का होना इस बात का प्रमाण है कि इसमें स्वतंत्र बौद्धिक विकास को प्रोत्साहन दिया जाता है। वह यह मानती थीं कि विश्व का मार्गदर्शन करने की क्षमता केवल भारत में निहित है।
आचार्य जी ने उनके एक भाषण का उल्लेख किया जिसमें एनी ने बताया कि हिन्दू धर्म सबसे अधिक विज्ञान सम्मत दार्शनिक आध्यात्मिक है बिना हिन्दुत्व के भारत का कोई भविष्य नहीं है

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया यदि वर्तमान की राजनैतिक परिस्थितियों का अवलोकन करें तो इनमें कुछ तो सुधार दिख रहा है लेकिन अभी भी बहुत सुधार होना बाकी है
आचार्य जी ने चाणक्य की चर्चा क्यों की आदि जानने के लिए सुनें