25.3.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 25 मार्च 2024 का सदाचार संप्रेषण *९७० वां* सार -संक्षेप

 विकार विश्व-सृष्टि का घुलामिला स्वभाव है ,

विकार का सभी जगह जरूर कुछ प्रभाव है ,
विचार जब विकार को रचा पचा खड़ा हुआ ,
लगा कि सर्वदूर ही विकार का अभाव है ।
-ओम शंकर


प्रस्तुत है सावधान ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 25 मार्च 2024 का सदाचार संप्रेषण
  *९७० वां* सार -संक्षेप
1 परिश्रमी

आज होलिकोत्सव है अपने विकारों को जला दें और संस्कारों को पल्लवित करें
आत्मवत् सर्वभूतेषु यः पश्यति स पण्डितः॥

यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च यः।

हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो यः स च मे प्रियः।।12.15।।

हमारा देश पर्वों उत्सवों मंगलविधानों मंगलकार्यों का देश है भारतवर्ष में उत्सवप्रियता अत्यधिक रमी हुई है ये पर्व उत्सव भारतवर्ष की शक्ति हैं चिन्तन और विभूति हैं अद्भुत दृष्टि रखने वाले ऋषियों ने इस संसार की पीड़ाओं को विस्मृत करने के लिए और संसार -स्रष्टा के क्रियाकलापों को कथा कहानी के माध्यम से जानने के लिए उत्सवों की विधि व्यवस्था बना दी
 हमारा कर्तव्य है कि हम अध्ययन चिन्तन विचार करते हुए नई पीढ़ी, जो अत्यन्त बुद्धिवादी है, को मार्गदर्शन दें
समस्याओं के समाधान में उलझने से भगवान् हमें बचाता है यह विश्वास हमें रखना चाहिए यही भक्ति है
भगवान् राम का लक्ष्य अनगिनत घटनाओं के घटने के बाद भी ओझल नहीं हुआ भगवान् कृष्ण भी अर्जुन का लगातार मार्गदर्शन करते रहे कि अर्जुन अपने लक्ष्य से विमुख न हो ये कथाएं चिन्तन मनन की कथाएं हैं आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि हम कृष्ण जन्माष्टमी तो मनाते हैं लेकिन कृष्ण का विजयोत्सव नहीं
इन कथाओं के माध्यम से अपने भीतर के तत्त्वों की जागृति होती है
 महान् जन जिस मार्ग पर चलते हैं हमें उसी का अनुसरण करना चाहिए
प्रथाओं को जीवन्त करने की आवश्यकता है
सतत चिन्तन में रत रहें
आचार्य जी ने फाग के बारे में क्या बताया और सुख दुःख के बारे में किससे पूछने की आवश्यकता है जानने के लिए सुनें