अवगुण नाव की पेंदी के छेद के समान है, जो चाहे छोटा हो या बड़ा, एक दिन उसे डुबो देगा। -- कालिदास
प्रस्तुत है अयोध्य ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज फाल्गुन अन्वष्टका विक्रमी संवत् २०८० तदनुसार 4 मार्च 2024 का सदाचार संप्रेषण
*९४९ वां* सार -संक्षेप
1 जिसका मुकाबला न किया जा सके
हमें अयोध्य सुयोग्य बनाने का संकल्प लेकर हमारी व्याकुलता को दूर करने के लिए हमारे आचरण को शुद्ध करने के लिए दीनदयाल विद्यालय नामक पवित्र साधना स्थल में अपने को खपाने वाले आचार्य जी नित्य प्रेरित करते हैं
इन सदाचार संप्रेषणों में समाज विश्व परिस्थितियों समस्याओं व्यावहारिक अवरोधों के समाधानों की चर्चा होती है आइये मनोयोग पूर्वक इनसे प्राप्त विचारों को हम ग्रहण करें और सफलता के नए नए कीर्तिमान बनाएं अपने तत्त्व सत्त्व से SMART बनने का लक्ष्य बनाएं
आश्रमों में सर्वश्रेष्ठ गृहस्थ आश्रम सब प्रकार की समस्याओं के समाधान का आधार माना जाता है यह आश्रम समाज की दृष्टि से आवश्यक माना जाता है गृहस्थ का धर्म अत्यन्त महत्त्वपूर्ण दायित्वपूर्ण है हमारे मौलिक चिन्तन के आधार पर गृहस्थ को समाजोन्मुखी भी होना चाहिए लेकिन समय के परिवर्तन के साथ बहुत से व्यवहार भी परिवर्तित हो जाते हैं इसलिए गृहस्थ आश्रम को हम समस्याओं का आश्रम मान लेते हैं और कुछ अतिरिक्त करने में असमर्थता दिखाते हैं
बाह्य और अन्तः का सामञ्जस्य बनाने वाला अध्यात्म इसी असमर्थता को दूर करता है
हम एक अनन्त पथ के वे पथिक हैं जो बीच बीच में आश्रय -स्थलों को समझने देखने के साथ अगली यात्रा की तैयारी करते रहते हैं
इस प्रकार की मानसिकता के लिए चिन्तन ध्यान आवश्यक है इससे शक्ति शौर्य कर्मठता की अनुभूति होगी चिन्तन में शरीर के विकारों को दूर करने का प्रयास भी होना चाहिए अपने खानपान को शुद्ध करने का प्रयास करना चाहिए नशे से अपने को अपनों को दूर ही रखने का प्रयास करना चाहिए
सर्वेषामेव शौचानामन्नशौचं विशिष्यते।
छान्दोग्योपनिषद् में ऋषि कहते हैं— ‘आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धि:।’ अत: हम शुद्ध आहार का सेवन करें इससे अन्त:करण शुद्ध होता है। जब अन्त:करण मन शुद्ध होता है तब सद्विवेक का निर्माण होता है। इससे ही मनुष्य सदाचारी होता है
ऐसा प्रयास करने वाले एकत्र होकर परस्पर राष्ट्र -निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व के उत्कर्ष हेतु चर्चा करते हैं आनन्द का वातावरण निर्मित करते हैं
दंभी एकत्र होकर प्रतिस्पर्धा करते हैं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने राष्ट्रीय अधिवेशन के विषय में क्या सुझाव दिए जानने के लिए सुनें