भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी॥
प्रस्तुत है अरुज् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी (राम नवमी )विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर )तदनुसार 17 अप्रैल 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
९९३ वां सार -संक्षेप
1स्वस्थ
आज रामनवमी है हम रामत्व की अनुभूति करें
विशेष रूप से अयोध्या में आज राम जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है २२ जनवरी को भी हम एक बहुत बड़ा आयोजन कर चुके थे और वो इसलिए कि हमें विजय मिली थी उन कालनेमियों पर जो भारत पर शासन करना चाहते हैं लेकिन उनके इरादे नेक नहीं रहते
आज संसार से हम जितना मुक्त रह सकें उतना ही अच्छा है हम अपना हनुमानत्व विलीन न करें यह हमें आनन्दित करेगा आज के दिन हम अपना मंडूक स्वभाव त्यागें
जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥ १९०॥
इस दोहे का एक एक शब्द अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है इस दोहे का अर्थ है :
चूंकि राम का जन्म सुख का कारण है अतः
योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गए,जड़ और चेतन सब हर्ष से परिपूर्ण हो गए।
अद्भुत साधना थी संत तुलसीदास जी की
बहुत ही विषम परिस्थितियों में तुलसीदास जी का लेखन चल रहा है अकबर के शासन में हाहाकार मचा है और तब वे भगवान् राम के नाम का ध्यान करते हैं और उसका परिणाम श्रीरामचरित मानस के रूप में हमारे सामने है जिसके अखंड पाठ चलते रहते हैं
नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥
चैत्र का पवित्र माह और नवमी तिथि । शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित मुहूर्त । दोपहर का समय,न बहुत सर्दी न बहुत गरमी । वह अत्यन्त पवित्र समय सारे लोकों को शांति देने वाला था।
सीतल मंद सुरभि बह बाऊ। हरषित सुर संतन मन चाऊ॥
बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा। स्रवहिं सकल सरिताऽमृतधारा॥
शीतल, मंद और सुगंधित सुरभि बह रही थी । देवता हर्षित थे,संतों के मन में चाव था। वन कुसुमित थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियों से अमृत की धारा बह रही थी।
जब ब्रह्मा ने भगवान राम के जन्म का अवसर जाना तब वे और अन्य सारे देवता विमान सजाकर चले। पावन आकाश देवताओं से भर गया। गंधर्वों के दल भी गुणगान करने लगे।
हम लोग सौभाग्यशाली हैं कि जहां हमारा जन्म हुआ है वह अद्भुत स्थान है आवश्यकता है उसकी अनुभूति की
राम का नाम अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है राम के नाम के अद्भुत चमत्कार हैं व्रतराज पुस्तक में इसका वर्णन है राम नाम का लेखन बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है
इस व्रत को प्रायः लोग रामनवमी से प्रारम्भ करते हैं कोई एक लाख बार लिखेगा कोई एक कोटि बार फिर उसका षोडशोपचार पूजन कर पुस्तिका सुरक्षित कर लेते हैं
श्री देवादास जी ने रामनाम बैंक खोल रखा था
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥
(ब्रह्म के अवतार) श्री राम जी का चरित्र सौ कोटि विस्तार वाला है । राम नाम एक एक अक्षर महापातकों को नष्ट करने वाला है।
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने मंदोदरी का नाम क्यों लिया भैया पंकज जी भैया अरविन्द जी आचार्य श्री जागेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव जी शिक्षक श्री सिद्धनाथ मिश्र जी का उल्लेख क्यों हुआ किसे चोट लगी आचार्य जी ने किस उपनिषद् की आज चर्चा की जानने के लिए सु