12.5.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का वैसाख शुक्ल पक्ष पंचमी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 12 मई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण १०१८ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है दुर्विनीत -रिपु आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज वैसाख शुक्ल पक्ष पंचमी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  12 मई 2024 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  १०१८ वां सार -संक्षेप

¹ दुर्विनीत =दुष्ट


स्थान : चित्रकूट 


राष्ट्र एक चिन्तन है जीवन है दर्शन है

भारत राष्ट्र एक दर्शन चिन्तन जीवन है हम उसके नागरिक हैं हमारे अपने कर्तव्य हैं इन कर्तव्यों का चिन्तन करना और इन कर्तव्यों का चिन्तन करते हुए आगे कार्यान्वयन के लिए लेखन करना संप्रेषण करना आदि आवश्यक है  हमें जाग्रत रहने की आवश्यकता है हम ऋषियों की संतान हैं भारतवर्ष में जन्मे हैं इसकी भूमि से हम लगाव रखते हैं इस कारण हमें अपने कर्तव्यों का बोध होना ही चाहिए 


आचार्य जी ने न्यायपालिका द्वारा केजरीवाल को छोड़ने  की चर्चा की भारतीय न्यायपालिका के बारे में भारतीय जनमानस की धारणा ऐसी ही है जैसी गंगा के प्रति कि गंगा पवित्र हैं ही जब कि उन्हें बहुत प्रदूषित किया गया 


न्यायपालिका भी प्रदूषित लगती है इसे शुद्ध करने की आवश्यकता है 

मनुष्य में ही ऐसी क्षमता है कि वह समस्याओं का समाधान कर सकता है अन्य जीव केवल समस्या उत्पन्न करते हैं 

 बहुमत वाली सरकार से यह संभव है कि वह न्यायपालिका शुद्ध कर सके 

आचार्य जी ने शाहबानो प्रकरण की भी चर्चा की

लोकतन्त्रीय प्रणाली के माध्यम से हम लोग अपने विचारों आदि को प्रतिफलित कर सकें इसके लिए अपने अपने स्थान से अपनी अपनी शक्ति बुद्धि लगाकर और सक्रिय होकर भारत मां की सेवा के लिए सन्नद्ध हों 

इसके अतिरिक्त चेन्नई से मतदान के लिए कौन से भैया कानपुर आए हैं भैया अरविन्द जी का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया विचार पर आधारित लोकतन्त्र के लिए किसने परामर्श दिया था जानने के लिए सुनें