18.5.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का वैसाख शुक्ल पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 18 मई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण १०२४ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है माहाकुल ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज वैसाख शुक्ल पक्ष एकादशी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  18 मई 2024 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  १०२४ वां सार -संक्षेप

¹ उत्तम कुल का


उत्तम कुल में जन्मे महामानव बैरिस्टर नरेन्द्र जीत सिंह जी का आज जन्मदिन है वे 18 मई सन् 1911 को इस धरा धाम पर अवतरित हुए थे 

हमारे देश की प्रकृति ऐसी है कि यहां अनगिनत महापुरुषों का जन्म हुआ यहां छह ऋतुएं हैं यहां की प्रकृति सम है इसलिए यहां का स्वभाव सौम्य है विषम स्वभाव वाले स्वार्थी लोभी लंपट होते हैं सौम्य प्रकृति वाले अपनी रक्षा और अपनों की रक्षा के लिए संघर्ष करते हैं उनके साथ शक्ति भक्ति शौर्य तप त्याग सेवा आदि बहुत कुछ संयुत रहता है यही शौर्य प्रमंडित अध्यात्म है 

प्रायः वैभव की ओर लोग आकर्षित होते हैं जो वैभव प्राप्त करके भी शान्त सौम्य सेवाभावी होते हैं उनके बारे में कहा जाता है कि ये पूर्वजन्म के साधक हैं इनकी साधना पूर्ण नहीं होने पर परमात्मा इन्हें बहुत वैभवपूर्ण परिवार में जन्म देता है

वैभवपूर्ण परिवार में जन्म लेने वाले बैरिस्टर साहब भी अत्यन्त शान्त सौम्य सेवाभावी थे उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा

गीता उनके जीवन में उतरी थी वे कहते थे कि  

गीता उन्हें जेल में समझ में आई 

बैरिस्टर साहब के पूर्वज पंजाब के मूल निवासी थे, 1921 में उनके पिता श्री विक्रमाजीत सिंह ने कानपुर में ‘सनातन धर्म वाणिज्य महाविद्यालय’ की स्थापना की 

इसके बाद तो उनके परिवार ने सनातन धर्म विद्यालयों की शृंखला ही खड़ी कर दी अपना दीनदयाल विद्यालय उन्हीं में से एक है जहां हमें बहुत अच्छे संस्कार मिले 


1935 में बैरिस्टर साहब का विवाह जम्मू-कश्मीर राज्य के दीवान बद्रीनाथ जी की पुत्री सुशीला जी से हुआ

आचार्य जी ने ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामण्डल के विषय में भी जानकारी दी


भारत धर्म मण्डल  काशी के संस्थापक स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी के  प्रिय शिष्य  स्वामी दयानन्द जी  (स्वामी दयानन्द सरस्वती नहीं )ने कानपुर में ‘श्री ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामण्डल’ की स्थापना की थी। इस महामण्डल की स्थापना में प्रमुख रुप से राय बहादुर विक्रमाजीत सिंह जी , साहित्यकार कवि राय देवी प्रसाद ‘पूर्ण’  जी एवं कैलाश मन्दिर के श्री दुर्गा प्रसाद वाजपेई  जी जैसे महानुभाओं का अहम योगदान रहा इस महामण्डल ने देश व समाज के विकास के लिए शिक्षा पर विशेष बल दिया शिक्षा के  माध्यम से समाज को संस्कारित किया जा सकता है 


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने परामर्श दिया कि सोच समझकर बोलना चाहिए उचित शब्द -चयन हो

और आचार्य जी ने केंचुए का उल्लेख क्यों किया भैया मनीष कृष्णा का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें