23.5.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का वैसाख शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 23 मई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण १०२९ वां सार -संक्षेप

 सदा स्वदेश के लिए समर्थ सेव्य भाव हो, 

निवास हो जहाँ वहाँ चरित्र का प्रभाव  हो, 

प्रबुद्ध चिंतना मगर सशक्त हाव-भाव हो, 

सुशान्ति के लिए सदैव शक्तिमंत्र चाव हो।


प्रस्तुत है मञ्जुवाच् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज वैसाख शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  23 मई 2024 का  सदाचार सम्प्रेषण 

  १०२९ वां सार -संक्षेप

¹ मधुर बोलने वाला



श्री रामचरित मानस अद्भुत है इसे पढ़ने पर हम अत्यन्त उत्साहित हो जाते हैं 

 इसमें वर्णाश्रम धर्म अवतारवाद 


(जग कारन तारन भव भंजन धरनी भार। की तुम्ह अखिल भुवन पति लीन्ह मनुज अवतार॥1॥)

साकार उपासना निराकार उपासना गोरक्षा ब्राह्मणरक्षा वेद पुराण के सार  गीता आदि को समेटा गया है 


नाना पुराण निगमागम सम्मतं यद् रामायणे निगदितं क्वचिदन्यतोह्यपि।


एहि महँ रघुपति नाम उदारा।

 अति पावन पुरान श्रुति सारा॥

मंगल भवन अमंगल हारी। 

उमा सहित जेहि जपत पुरारी॥1॥

तुलसीदास जी ने शैव वैष्णव विद्रोह को समाप्त करने का भी प्रयास किया 

इस ग्रंथ पर तो अखंड चर्चा हो सकती है 

मानस में हनुमान जी की भूमिका अद्भुत है

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् I

हनुमान जी महाराज अभी भी हमारी रक्षा कर रहे हैं 

 हनुमान जी ही तुलसीदास जी की प्रेरणा हैं वे ही उन्हें भगवान् राम के दर्शन कराते हैं 

 सहज रूप से मानस का नाम लेते ही त्यागी तपस्वी समाजसेवी परोपकारी उपदेशक गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में जिज्ञासा उत्पन्न हो जाती है वे रामानन्दी परम्परा के सिद्ध भक्त थे वे गृहस्थ हुए विरक्त भी हुए


हम ज्ञान की उपासना करना चाहते हैं क्योंकि ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं है हमें विद्या अविद्या दोनों की आवश्यकता है

इन सदाचार संप्रेषणों से हम ज्ञान प्राप्त करते हैं इस ज्ञान को व्यवहार में परिवर्तित करने की भी आवश्यकता है हम अपनी संतानों को भी इसकी जानकारी दें उन्हें परिपुष्ट करें अपने को परिपुष्ट करें 

ध्यान धारणा चिन्तन मनन लेखन सत्संग प्रातःकाल जल्दी का जागरण उचित खानपान सब नित्य आवश्यक है 

इन संप्रेषणों से लाभ उठाकर हमारे अन्दर भक्ति शक्ति बुद्धि विचार कौशल आये और हम संगठित भी होवें हम आत्मानुभूति करें आत्माभिव्यक्ति भी करें 

समाज और देश के लिए हम अपने आत्मीय लोगों के संगठन के प्रभाव का प्रदर्शन भी करें 

राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारियों के सम्बन्ध में सूचनाएं देते रहें 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने ४ जून तक की प्रतीक्षा न करने के लिए क्यों कहा आदि जानने के लिए सुनें