प्रस्तुत है सोढ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज वैसाख कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 6 मई 2024 का सदाचार सम्प्रेषण
१०१२ वां सार -संक्षेप
¹ सहिष्णु
सहिष्णु रहते हुए परमात्मा की लीला के हम पात्रजन इन सदाचार संप्रेषणों से प्रेरणा प्राप्त करें आनन्दार्णव में तैरें तो हमें लाभ होगा विश्लेषणात्मक चिन्तन हानिकारक होता है उसमें तर्क की उग्रता होती है उसमें आनन्द नहीं आता आइये प्रवेश करें आज की वेला में
परम ज्ञानी( किन्तु साथ ही साथ परम भक्त भी )भगवान् शङ्कराचार्य ने संपूर्ण भारतवर्ष में प्रेम और आत्मीयता के आधार पर सनातन धर्म को पुनर्प्रतिष्ठित कर दिया वे फैले हुए अनगिनत विवादों में तर्क करने के लिए स्थान स्थान पर जाते थे और बड़े से बड़े विद्वानों को अपने तर्क से पराजित कर देते थे
प्रेम आत्मीयता भक्ति भाव विश्वास मनुष्य जीवन की दुर्लभ संपदा है हम इन्हें अगली पीढ़ी को भी संप्रेषित करें
अगली पीढ़ी को अपनी संस्कृति का ज्ञान भी हम कराएं
जब संसार में हर ओर निराशा ही निराशा दिख रही होती है तो भारतवर्ष में आशा के दीप जलते हैं किसी भी कालखंड पर हम दृष्टिपात करें तो ऐसा कभी नहीं हुआ कि हमें श्मशान ही श्मशान दिखा हो हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म भारतवर्ष में हुआ है
गायन्ति देवाः किल गीतकानि, धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे। स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते, भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।। -(विष्णुपुराण- 2/3/24)
हमारी सनातन संस्कृति का स्वरूप अद्भुत है जो यह बताता है कि परमात्मा हमें मंच पर उतारकर हमसे लीला करवाता है और फिर हमें मंच से उतार भी देता है जब हम मंच पर रहें तो अपनों से आत्मीयता प्रेम बनाए रखें
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि १५ अगस्त को हम अखंड भारत दिवस मनाएं अपने घरों में अखंड भारत का मानचित्र लगाएं
महाशिवरात्रि रामनवमी और कृष्णजन्माष्टमी आनन्दपूर्वक मनाएं इन सबसे हमारी संस्कृति पुनर्जीवित होगी इसकी सुरक्षा में हम अपना श्रम लगाएं
इस समय भौतिकता का वात्याचक्र बहुत भयानक स्वरूप धारण किए हुए है खाद्यअखाद्य पेय अपेय का विवेक आवश्यक है
इसके अतिरिक्त कल सम्पन्न हुई युगभारती की बैठक के सम्बन्ध में आचार्य जी ने क्या कहा
गांव के कुछ बच्चों से संबन्धित प्रसंग क्या था
राष्ट्रीय अधिवेशन से हम समाज को क्या संदेश देने जा रहे हैं जानने के लिए सुनें