10.6.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष चतुर्थी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 10 जून 2024 का सदाचार सम्प्रेषण १०४७ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है कृताभय ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष चतुर्थी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  10 जून 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  १०४७ वां सार -संक्षेप

¹भय से सुरक्षित

भय भ्रम से सुरक्षित रहने का उपाय है अध्यात्म 

और इस अध्यात्म की महत्ता दर्शाते ये सदाचार संप्रेषण अद्भुत हैं जिनके सदाचारमय विचार हम  भारत में जन्म लेकर भारत के होने वाले अध्यात्मवादियों को प्रेरित करते हैं  इन भाव -यज्ञों से हमें संसार, जो उत्थान पतन अपने साथ लेकर जीवित रहता है,में संकटों का सामना करने का उत्साह मिलता है और इस संसार में हमारा देश अद्भुत है और निःसंदेह विधि -रचना का प्रतिनिधित्व करता है 


यह देश विधाता की रचना का प्रतिनिधि है 

सत रज तम के साथ बनी युति सन्निधि है 

परमात्म तत्त्व की लीला का यह रंगमंच 

इसमें  दर्शित होते जगती के सब प्रपंच 

यह जन्म जागरण मरण सभी का द्रष्टा है 

यह आदि अन्त का वाहक शिव है स्रष्टा है

हम हुए अवतरित पले बढ़े तम से जूझे 

विश्रान्त शान्त रहकर रहस्य हमको सूझे


रहस्यों की सूझ बूझ ही वेदों की अभिव्यक्ति है ज्ञान का विस्तार और तत्त्व का चिन्तन है


आचार्य जी ने गुरुगोविन्द सिंह के शिष्य बन्दा बैरागी की शौर्य -गाथा बताई 


बंदा बैरागी लक्ष्मण देव, माधवदास, वीर बंदा बैरागी और बंदा सिंह बहादुर के नाम से प्रसिद्ध रहे हैं। इस धर्म योद्धा ने सत्य , देशभक्ति, वीरता और त्याग के पथ पर चलते हुए नौ जून १७१६ को मानव उत्थान यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी।

संघ की शाखाओं में गाया जाने वाला निम्नांकित गीत अश्रुपात करा देता है 

नख नख में ठोंकी गई कील भालों से छलनी हुआ बदन...



सिखों के साथ मजाक करने का एक लम्बा सिलसिला चला जो आत्महत्या के समान है 

अपनों को दुत्कारने और गैरों को गले से लगाने का इससे भयावह और क्या परिणाम हो सकता है जैसा इस समय दिख रहा है वर्तमान में आया चुनाव परिणाम 

भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला इसके बाद भी कल अन्य सहयोगी दलों की सहायता से नरेन्द्र मोदी ने अपनी तीसरी पारी की शुरुआत कर दी 

मोदी ही सब कुछ कर डालें ऐसी सोच गलत है हर व्यक्ति को मोदी बनने की आवश्यकता है 

शिव बनकर शिव की उपासना करें 

देश और समाज के लिए कार्य करें  समाज का जो हिस्सा आपके संपर्क में आता है उसमें हौसला भरें उसे भय भ्रम मुक्त करें हम समस्या न बनें न उन समस्याओं का हिस्सा बनें 

हम समाधान खोजें 

हिन्दू समाज जो बंटा है उसे एकजुट करने का प्रयास करें

हमें शान्ति तभी मिलेगी जब हमारा आस पड़ोस शान्त होगा  विश्वासी होगा यदि वह निराश हताश है तो शान्ति नहीं मिलेगी हमें इसके लिए संगठित भी होना होगा 

देशहित के सभी कार्यों में भाग लें 

संस्कृति सबकी एक चिरंतन खून रगों मे हिंदू हैं

विराट सागर समाज अपना हम सब इसके बिंदू हैं


राम कृष्ण गौतम की धरती, महावीर का ज्ञान यहां

वाणी खंडन मंडन करती, शंकर चारों धाम यहां

जितने दर्शन राहें उतनी, चिंतन का चैतन्य भरा

पंथ खालसा गुरू पुत्रों की बलिदानी यह पुण्य धरा....

हम अपने साहित्य सद्ग्रंथों की ओर  श्रद्धा के साथ उन्मुख हों 

इसके अतिरिक्त एक यज्ञकर्ता को लोभी लालची बताने के पीछे आचार्य जी का क्या अभिप्राय है अपने सरौंहां के पास वाले गांव में घटी दुर्घटना क्या थी जानने के लिए सुनें